सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. एक अगस्त को ड्राफ्ट पब्लिकेशन होना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ड्राफ्ट सूची की वैधता लंबित याचिकाओं के फैसले पर निर्भर करेगी. अदालत ने कहा कि आधार और मतदाता पहचान पत्र की अनुमति न देने से बड़े पैमाने पर लोगों का बहिष्कार हो सकता है.
बिहार मतदाता सूची मामले में सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने कहा कि हमें राशन कार्ड को स्वीकार करने में दिक्कत है. लेकिन जहां तक वोटर आईडी की बात है वो तो फॉर्म पर पहले से ही प्रिंट है. आधार नंबर वोटर को भरना है. लेकिन कोर्ट का आदेश ही है कि आधार नागरिकता की पहचान का दस्तावेज नहीं है. इस मुद्दे पर अदालत मंगलवार को एक बार फिर सुनवाई करेगी.
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया ने राजनीतिक और कानूनी बहस छेड़ दी है. विपक्ष का आरोप है कि इससे कई वैध मतदाताओं को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है. जस्टिस सूर्य कांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच इस मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ताओं ने मतदाता सूची संशोधन की समय और वैधता पर सवाल उठाए हैं.
बताते चलें कि बिहार में SIR ( स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विपक्ष की 9 राजनीतिक पार्टियों ने याचिका दाखिल की है. कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, एनसीपी की सुप्रिया सुले, सीपीआई के डी राजा, डीएमके, हरिंदर मलिक (समाजवादी पार्टी), शिवसेना UBT के अरविंद सावंत, JMM के सरफराज अहमद और CPI (ML ) के दीपांकर भट्टाचार्य याचिकाकर्ता हैं.