जीने के मौलिक अधिकार से समझौता... : अस्पताल के बिस्तर पर आरोपी को जंजीर से बांधने पर सुप्रीम कोर्ट

अपीलकर्ता के साथ पुलिस के व्यवहार की आलोचना करते हुए कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान के साथ जीने के उसके मौलिक अधिकार से समझौता किया गया.

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नई दिल्ली:

हरियाणा पुलिस द्वारा आरोपी को हथकड़ी लगाने और अस्पताल के बिस्तर पर जंजीर से बांधने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराज़गी जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को पुलिस को दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकार से समझौता किया गया.

दरअसल, पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के कारणों के बारे में सूचित न करने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी को अवैध घोषित किया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा पुलिस के व्यवहार पर भी हैरत जताई कि व्यक्ति को  हथकड़ी लगाई गई और अस्पताल के बिस्तर पर जंजीर से बांधा गया.

जस्टिस अभय एस ओक की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने हरियाणा राज्य को इस तरह की कार्रवाइयों को रोकने और अनुच्छेद 22 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया और कहा कि यदि आवश्यक हो तो नियम संशोधन भी किए जाएं.

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अपीलकर्ता के साथ पुलिस के व्यवहार की आलोचना करते हुए कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान के साथ जीने के उसके मौलिक अधिकार से समझौता किया गया. पीठ ने कहा, - “इस निर्णय को समाप्त करने से पहले, हमें पुलिस द्वारा अपीलकर्ता के साथ किए गए चौंकाने वाले व्यवहार का उल्लेख करना चाहिए. उसे हथकड़ी लगाकर अस्पताल ले जाया गया और उसे अस्पताल के बिस्तर से जंजीरों से बांध दिया गया. यह अपने आप में भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अपीलकर्ता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. सम्मान के साथ जीने का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत अधिकारों का एक हिस्सा है. इसलिए, हम राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने का निर्देश देने का प्रस्ताव करते हैं कि इस तरह की अवैधता कभी न हो. हरियाणा राज्य पुलिस को दिशानिर्देश/विभागीय निर्देश जारी करेगा (i) यह सुनिश्चित करने के लिए कि अस्पताल के बिस्तर पर किसी आरोपी को हथकड़ी लगाने और उसे अस्पताल के बिस्तर से बांधने का कार्य फिर से न हो. (ii) यह सुनिश्चित करने के लिए कि अनुच्छेद 22 के तहत संवैधानिक सुरक्षा उपायों का कड़ाई से पालन किया जाए यदि आवश्यक हो, तो राज्य सरकार मौजूदा नियमों/दिशानिर्देशों में संशोधन करेगी. 
 

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