देशभर में कितने मंदिरों का विधायी माध्यमों से अधिग्रहण किया गया : बांके बिहारी मंदिर केस पर SC का सवाल

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत ने बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को ये कहा कि मंदिर प्रबंधन ने कॉरिडोर बनाने के लिए मंदिर के धन को अपने अधीन करने के उत्तर प्रदेश सरकार के कदम को चुनौती दी है.

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मथुरा के बांके बिहारी मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि देशभर में कितने मंदिरों का विधायी माध्यमों से अधिग्रहण किया गया है, पता लगाकर बताएं. फिर अगले हफ्ते सुनवाई करेंगे. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी भी की है कि एक बार वहां जाइए, समझ जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत ने बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को ये कहा कि मंदिर प्रबंधन ने कॉरिडोर बनाने के लिए मंदिर के धन को अपने अधीन करने के उत्तर प्रदेश सरकार के कदम को चुनौती दी है. मथुरा स्थित बांके बिहारी मंदिर की प्रबंधन समिति ने उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इसमें मंदिर का प्रशासन राज्य द्वारा गठित एक न्यास को दिया गया है. 

कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत को बताया कि मंदिर के पास ₹400 करोड़ की धनराशि है, लेकिन उसे पक्षकार नहीं बनाया गया. इसे न्यायालय ने ₹300 करोड़ जमा करने को कहा है. यह आवेदन कल सूचीबद्ध है. पूर्व के आदेशों में भी अध्यादेश को रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया गया था.जस्टिस कांत ने कहा कि इसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखें या तो यह मामला हम सुनेंगे या फिर दूसरी बेंच में.

कपिल सिब्बल ने कहा कि अध्यादेश बिना किसी धन के दुरुपयोग के आरोप के मंदिर का पूरा नियंत्रण ले लेता है. यह एक निजी मंदिर है, जबकि पहले सार्वजनिक मंदिरों से जुड़े मामले सामने आए थे.  जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यहां ज्यादा भीड़-भाड़ वाले इलाके में दान और विकास से जुड़ा है. वहां जाकर देखिए, आपको समझ आ जाएगा. प्रशासक सिर्फ तदर्थ है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पता लगाइए कि देशभर में कितने मंदिर हैं. हम अगले हफ्ते इस मामले की सुनवाई करेंगे.

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