हरिद्वार धर्म संसद में हेट स्पीच का मामले में सुप्रीम कोर्ट का हिमाचल सरकार को नोटिस

याचिका में कहा गया है कि ये केवल हेट स्पीच नहीं बल्कि पूरे समुदाय की हत्या के लिए एक खुले आह्वान के समान था. हेट स्पीच ने लाखों मुस्लिम नागरिकों के जीवन को खतरे में डाल दिया. हेट स्पीच हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए एक गंभीर खतरा है.

विज्ञापन
Read Time: 18 mins
नई दिल्ली:

हरिद्वार धर्म संसद (Haridwar Dharma Sansad) में हेट स्पीच का मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हिमाचल सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांग है. सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में होने वाली धर्म संसद पर रोक लगाने के लिए याचिकाकर्ता को स्थानीय कलेक्टर से संपर्क करने की छूट दी. उतराखंड सरकार को भी  स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया गया है. अब 22 अप्रैल को सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा - हिमाचल में रविवार को धर्म संसद होनी है. इस पर भी रोक लगाई जानी चाहिए , लेकिन जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि इससे पहले हिमाचल सरकार की बात सुननी होगी. याचिकाकर्ता स्थानीय कलेक्टर के पास जा सकते हैं, वहीं उत्तराखंड सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में चार FIR दर्ज की गई हैं, जिनमें से तीन चार्जशीट दाखिल की गई हैं. हम मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे.

"हम विधानसभा के प्रति जवाबदेह, न कि उप राज्‍यपाल के" : सुप्रीम कोर्ट में दिल्‍ली सरकार ने रखा पक्ष

दरअसल, पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस अंजना प्रकाश द्वारा दायर रिट याचिका में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने 12 जनवरी को केंद्र, दिल्ली पुलिस और उतराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. इसके बाद उत्तराखंड पुलिस ने यति नरसिंहानंद और जितेंद्र नारायण त्यागी (पूर्व में वज़ीम रिज़वी) को धर्म संसद में हेट स्पीच के सिलसिले में गिरफ्तार किया था. हरिद्वार में हुई धर्म संसद के मामले में अब हिंदू सेना भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है और उसने धर्म संसद में हेट स्पीच के लिए कार्यवाही का विरोध किया है. साथ ही कहा कि अगर धर्म संसद मामले में कार्यवाही की जाती है तो मुस्लिम नेताओं को भी हेट स्पीच के लिए गिरफ्तार किया जाए. इसके अलावा अर्जी में हिंदू सेना को भी पक्षकार बनाने की मांग की गई है. 

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दाखिल इस अर्जी में कहा गया है कि राज्य सरकारों को असदुद्दीन ओवैसी, तौकीर रजा, साजिद रशीदी, अमानतुल्ला खान, वारिस पठान के खिलाफ हेट स्पीच देने के लिए FIR दर्ज करने का निर्देश दिया जाए.अर्जी में कहा गया है कि याचिकाकर्ता पत्रकार क़ुर्बान अली मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं. उनको हिंदू धर्म संसद से संबंधित मामलों या गतिविधियों के खिलाफ आपत्ति नहीं उठानी चाहिए. हिंदुओं के आध्यात्मिक नेताओं को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है.

अर्जी में यह भी कहा गया है कि हिंदू आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा धर्म संसद के आयोजन को किसी अन्य धर्म या आस्था के विरुद्ध नहीं माना जा सकता और न ही इसका विरोध किया जाना चाहिए. धार्मिक नेताओं के बयान गैर-हिंदू समुदाय के सदस्यों द्वारा किए गए हिंदू संस्कृति और सभ्यता पर हमलों के जवाब थे और इस तरह के जवाब "हेट स्पीच" के दायरे में नहीं आएंगे. एक अन्य संगठन हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है.

'मां पीटती थी और घंटों तक बाथरूम में बंद कर देती थी' : बेटे ने सुप्रीम कोर्ट में सुनाई बचपन की दर्दभरी 'आपबीती'

Advertisement

धर्म संसद के भाषणों के खिलाफ जनहित याचिका का विरोध किया है. याचिका में कहा गया है कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट  मुसलमानों के खिलाफ हेट स्पीच की जांच करने के लिए सहमत हुआ है तो उसे हिंदुओं के खिलाफ हेट स्पीच की भी जांच करनी चाहिए. याचिका में मुस्लिम नेताओं द्वारा हिंदुओं के खिलाफ कथित हेट स्पीच के 25 उदाहरणों का हवाला दिया गया है. हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने भी धर्म संसद के भाषणों पर SC में चल रहे हेट स्पीच मामले में पक्षकार  बनने की मांग करते हुए याचिका दायर की है. वहीं पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज और पत्रकार ने हरिद्वार में 17-19 दिसंबर को धर्म संसद में हेट स्पीच के खिलाफ याचिका दाखिल की है.

याचिका में कहा गया है कि ये केवल हेट स्पीच नहीं बल्कि पूरे समुदाय की हत्या के लिए एक खुले आह्वान के समान था. हेट स्पीच ने लाखों मुस्लिम नागरिकों के जीवन को खतरे में डाल दिया. हेट स्पीच हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए एक गंभीर खतरा है. करीब 3 हफ्ते बीत जाने के बावजूद पुलिस अधिकारियों द्वारा कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है. पुलिस की निष्क्रियता न केवल हेट स्पीच देने की अनुमति देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पुलिस अधिकारी वास्तव में सांप्रदायिक हेट स्पीच के अपराधियों के साथ हाथ मिला रहे हैं. याचिका में दिल्ली में हुए हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम की भी जांच की मांग है. याचिका में केंद्रीय गृहमंत्रालय, दिल्ली पुलिस कमिश्नर और उतराखंड के DGP को पक्षकार बनाया गया है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
CBSE ने Board Exam की Date क्यों बदली? अब कब होगा Paper? जानें पूरी डिटेल | Top News | Breaking News
Topics mentioned in this article