सुप्रीम कोर्ट ने कीं 'बुलडोजर जस्टिस' के खिलाफ सख्त टिप्पणियां

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, अगर राज्य के किसी भी विंग या अधिकारी द्वारा मनमानी और गैरकानूनी व्यवहार की अनुमति दी जाती है तो नागरिकों की संपत्तियों को बाहरी कारणों से चुनिंदा प्रतिशोध के रूप में ध्वस्त कर दिया जाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में अवैध तोड़फोड़ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने "बुलडोजर जस्टिस" के खिलाफ सख्त टिप्पणियां कीं. चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के इस फैसले में कहा गया है कि बुलडोजर के जरिए न्याय किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था के लिए अज्ञात है. इस बात का गंभीर खतरा है कि अगर राज्य के किसी भी विंग या अधिकारी द्वारा मनमानी और गैरकानूनी व्यवहार की अनुमति दी जाती है तो नागरिकों की संपत्तियों को बाहरी कारणों से चुनिंदा प्रतिशोध के रूप में ध्वस्त कर दिया जाएगा.  

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि, नागरिकों की आवाज को उनकी संपत्तियों और घरों को नष्ट करने की धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता. एक इंसान के पास जो अंतिम सुरक्षा होती है, वह उसका घर है. कानून निस्संदेह सार्वजनिक संपत्ति पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण को उचित नहीं ठहराता.

उन्होंने कहा कि, बुलडोजर जस्टिस कानून के शासन के तहत बिल्कुल अस्वीकार्य है. अगर इसकी अनुमति दी जाती है तो अनुच्छेद 300 ए के तहत संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता एक डेड लैटर बन जाएगी.

Featured Video Of The Day
Maharashtra Assembly Elections: 40 लाख उत्तर भारतीय तय करेंगे भविष्य, उम्मीदवारों में कौन पड़ेगा भारी ?