NDTV Exclusive: सुप्रीम कोर्ट स्टाफ भर्ती में आरक्षण: SC/ST के बाद अब OBC कोटे की तैयारी शुरू

OBC वर्ग को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में आरक्षण लागू करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
सुप्रीम कोर्ट (File Photo)
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • सुप्रीम कोर्ट ने SC और ST वर्ग के लिए स्टाफ की सीधी भर्ती में आरक्षण नीति लागू की है
  • सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में OBC आरक्षण लागू करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे.
  • सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को इस दिशा में आवश्यक तैयारी करने के निर्देश भी दिए गए हैं.
  • हालांकि न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने अपने प्रशासनिक ढांचे में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए स्टाफ की सीधी भर्ती में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए आरक्षण नीति लागू कर दी है. यह फैसला ऐसे वक्त आया है जब शीर्ष अदालत के कर्मचारियों की नियुक्तियों में समान प्रतिनिधित्व को लेकर वर्षों से आवाज उठती रही है. अब इस नीति के तहत सुप्रीम कोर्ट स्टाफ में SC को 15% और ST को 7.5% आरक्षण मिलेगा.

इस बीच OBC वर्ग को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में आरक्षण लागू करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को इस दिशा में आवश्यक तैयारी करने के निर्देश भी दिए गए हैं. हालांकि, यह आरक्षण नीति सिर्फ कर्मचारियों के लिए है, न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

SC/ST आरक्षण को लेकर आदेश 

नए आदेश के तहत 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली 23 जून 2025 से लागू कर दी गई है, जिसे कर्मचारियों की सीधी भर्ती में लागू किया जाएगा. इस नीति को लागू करने में सुप्रीम कोर्ट को करीब 30 साल लग गए, जबकि इस पर संवैधानिक फैसला साल 1995 में ही आ चुका था.

यह मामला 10 फरवरी 1995 के आरके सभरवाल बनाम पंजाब राज्य केस से जुड़ा है, जिसमें तत्कालीन सीजेआई ए.एम. अहमदी की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ ने यह स्पष्ट किया था कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए 200-बिंदु-आधारित रोस्टर का पालन किया जाए. हालांकि यह आदेश अब जाकर 52वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई के कार्यकाल में अमल में आया है.

जस्टिस गवई ने दिया था तर्क 

जस्टिस गवई ने इस फैसले को लागू करते हुए कहा है कि जब केंद्र और राज्य सरकारों के सभी संस्थानों और कई हाईकोर्ट में SC/ST आरक्षण पहले से मौजूद है, तो सुप्रीम कोर्ट इससे अलग कैसे रह सकता है? हमने हमेशा ऐतिहासिक फैसलों में सकारात्मक कार्रवाई (affirmative action) का समर्थन किया है, इसलिए अब इसे संस्था के भीतर भी उतारने का समय है.

आरक्षण नीति के तहत आएंगे ये पद 

रजिस्ट्रार, अतिरिक्त निजी सचिव (APS), कोर्ट असिस्टेंट, लॉ क्लर्क, सहायक लाइब्रेरियन और चैंबर अटेंडेंट जैसे सभी पद अब इस आरक्षण नीति के तहत आएंगे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि नई रोस्टर प्रणाली Supnet (आंतरिक नेटवर्क) पर अपलोड कर दी गई है. साथ ही अगर किसी को रोस्टर या रजिस्टर में कोई त्रुटि नजर आती है तो वे रजिस्ट्रार (भर्ती) को आपत्ति भेज सकते हैं.

Advertisement
Featured Video Of The Day
PM Modi Ghana: घाना की संसद में पीएम मोदी की लोकतंत्र और सोने के दिल वाली बात | NDTV India