न्यायपालिका में पारदर्शिता और जनता का विश्वास बढ़ाने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है और जजों की संपत्ति और देनदारियों को सार्वजनिक किया गया है. सारा ब्योरा सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है. यह इतिहास में पहली बार है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्ति की घोषणा सार्वजनिक की गई है. भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और 20 अन्य जजों की घोषणाएं अपलोड की गई हैं. इनमें वे तीन जज भी शामिल हैं जो निकट भविष्य में CJI बनने की कतार में हैं. दरअसल CJI संजीव खन्ना की अगुवाई में फुल कोर्ट ने ये फैसला जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से कथित कैश की बरामदगी की घटना के बाद लिया था.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को जनता की जानकारी और जागरूकता के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है. 9 नवंबर, 2022 से 5 मई, 2025 की अवधि के दौरान हाईकोर्ट के जजों के रूप में नियुक्तियों के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव, जिनमें नाम, उच्च न्यायालय, स्रोत - सेवा या बार से, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सिफारिश की तारीख, न्याय विभाग द्वारा अधिसूचना की तारीख, नियुक्ति की तारीख, विशेष श्रेणी (एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्यक/महिला) और क्या उम्मीदवार किसी मौजूदा या सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से संबंधित है, को भी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है.
इसके मुताबिक तत्कालीन CJI डीवीई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित कुल 17 नाम नियुक्ति के लिए सरकार के पास लंबित हैं. CJI खन्ना के नेतृत्व वाले कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित कुल 12 नाम सरकार के पास लंबित हैं. इस प्रकार, 9 नवंबर, 2022 से न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए कुल 29 नाम सरकार के पास लंबित हैं.
वर्मा के खिलाफ आरोपों पर CJI को रिपोर्ट सौंपी
दूसरी और उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों पर सीजेआई संजीव खन्ना को रिपोर्ट सौंपी. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी एस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन वाली तीन सदस्यीय समिति ने तीन मई को अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया.
रिपोर्ट चार मई को सीजेआई को आगे की कार्रवाई के लिए सौंपी गई. इसमें 14 मार्च को रात करीब 11.35 बजे न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद कथित तौर पर नकदी मिलने के विवाद पर समिति के निष्कर्ष शामिल हैं. न्यायाधीश के आवास पर आग लगने के बाद अग्निशमन कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर आग बुझाई थी.
उच्चतम न्यायालय ने एक बयान में कहा, ‘‘सेवारत न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने तीन मई की अपनी रिपोर्ट चार मई को प्रधान न्यायाधीश को सौंप दी है.'' शीर्ष अदालत ने 28 मार्च को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा था कि वह न्यायमूर्ति वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक कार्य न सौंपें.