'लव जिहाद कानून' के खिलाफ राज्‍यों में बने कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर SC में सुनवाई टली

लव जिहाद कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं में कहा गया है कि राज्यों द्वारा बनाए गए कानून पर्सनल लॉ के आड़े आ रहे हैं. यह बहुत ही अजीब स्थिति है. दो अलग धर्म के जिन लोगों ने आपसी रजामंदी से विवाह किया है, वो सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं.

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उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड, गुजरात, मध्यप्रदेश, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक ने अब तक कानून बनाए

नई दिल्‍ली : लव जिहाद कानून के खिलाफ उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, मध्यप्रदेश समेत नौ राज्यों में बने कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. अब सुप्रीम कोर्ट तीन फरवरी को इस मामले में सुनवाई करेगा. सुनवाई शुरू होते ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन याचिकाओं पर ट्रांसफर याचिका अभी लिस्ट नहीं हुई है, इसलिए सभी याचिकाओं पर एक साथ शुक्रवार को सुनवाई करेंगे.  

इस मामले में एक याचिकाकर्ता ने कई राज्यों के जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर कहा कि यह बेहद गंभीर स्थिति है. राज्यों को आगे आकर शीघ्र जवाब दाखिल करना चाहिए. जमीयत उलमा-ए-हिंद ने इन कानूनों से जुड़ी विभिन्न हाईकोर्टों में लंबित 21 याचिकाओं को भी सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है. धर्मांतरण के खिलाफ आठ राज्यों द्वारा बनाए गए कानूनों के मुद्दे पर देश में कई हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम शुक्रवार को मामले पर सुनवाई करेंगे, तभी ट्रांसफर वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी करने पर विचार करेंगे. 

याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्यों द्वारा बनाए गए कानून पर्सनल लॉ के आड़े आ रहे हैं. यह बहुत ही अजीब स्थिति है. दो अलग धर्म के जिन लोगों ने आपसी रजामंदी से विवाह किया है, वो सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं. अभाव, दबाव या प्रभाव का इस्तेमाल कर अवैध तरीके से धर्मांतरण/लव जेहाद के खिलाफ उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड, गुजरात, मध्यप्रदेश, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक ने अब तक कानून बनाए हैं.

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