पुणे पोर्शे कार मामले में नाबालिग की मां को SC से राहत, 10 महीने बाद मिली जमानत

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्य एलएल धनावड़े और कविता थोराट ने नाबालिग आरोपी को 300 शब्दों का निबंध लिखने की सजा देकर जमानत दे दी थी, हादसे में दो लोगों की मौत हुई थी.

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पुणे:

Pune Porsche Car Case: पुणे पोर्शे कार केस मामले में नाबालिग आरोपी की मां शिवानी अग्रवाल को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से जमानत मिल गई है. दस महीने से ज्यादा वक्त से शिवानी जेल में बंद है. शिवानी पर बेटे का ब्लड सैंपल बदलवाने के लिए अपना ब्लड सैंपल देने और डॉक्टरों को पैसे देने का आरोप है. उसे जून 2024 में गिरफ्तार किया गया था.

मेरी गिरफ्तारी अवैध

शिवानी ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने कोई राहत ना देते हुए मामले को बड़ी बेंच में भेज दिया था. शिवानी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. कोर्ट ने हालांकि कानून के सवाल पर फैसला सुरक्षित रख लिया. साथ ही शिवानी को जमानत भी दे दी.

क्या था मामला? 

महाराष्ट्र के पुणे में बीते साल 19 मई की रात को लग्जरी पोर्शे कार चला रहे नाबालिग ने दो बाइक सवारों को ऐसी टक्कर मारी कि दोनों युवक और युवती की मौत हो गई थी. मामले का आरोपी नाबालिग था. उसकी उम्र महज 17 साल थी. उसपर आरोप है कि उसने शराब के नशे में तेज रफ्तार कार से दो बाइक सवार आईटी प्रोफेशनल्स को टक्कर मार दी थी. इस घटना में दोनों की ही मौके पर मौत हो गई थी. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्य एलएल धनावड़े और कविता थोराट ने नाबालिग आरोपी को 300 शब्दों का निबंध लिखने की सजा देकर जमानत दे दी थी, हादसे में दो लोगों की मौत हुई थी.

 मां ने बेटे को बचाने की ऐसे की कोशिश

पुलिस का आरोप है कि नाबालिग आरोपी का ब्लड सैंपल किसी महिला के सैंपल से बदला गया था ताकि ये दिखाया जा सके कि घटना के वक्त वह नशे में नहीं था. यह महिला और कोई नहीं, आरोपी की मां ही थी.

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