सुप्रीम कोर्ट ने स्पाइसजेट को दी राहत, मारन का 1323 करोड़ रुपये का दावा किया खारिज

स्पाइसजेट और KLL एयरवेज के बीच ये विवाद साल 2015 में शुरू हुआ था, जब स्पाइसजेट की फाइनेंशियल कंडीशन ठीक नहीं थी. तब मारन और केएएल ने अपने शेयर सिर्फ 2 रुपये में अजय सिंह को सेल कर दिए.

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  • सुप्रीम कोर्ट ने KLL एयरवेज की स्पाइसजेट से हर्जाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है
  • दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा, जिससे स्पाइसजेट को बड़ी कानूनी राहत मिली है
  • विवाद 2015 में शुरू हुआ जब मारन और केएएल एयरवेज ने अपने शेयर अजय सिंह को बेच दिए थे
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सुप्रीम कोर्ट ने KLL एयरवेज की 1300 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. इस फैसले के बाद स्पाइसजेट को बड़ी राहत मिली है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. इस आदेश के बाद कलानिधि मारन और केएएल एयरवेज को एक बड़ा झटका लगा है.

क्या है पूरा मामला

दरअसल स्पाइसजेट और KLL एयरवेज के बीच ये विवाद साल 2015 में शुरू हुआ था, जब स्पाइसजेट की फाइनेंशियल कंडीशन ठीक नहीं थी. तब मारन और केएएल ने अपने शेयर सिर्फ 2 रुपये में अजय सिंह को सेल कर दिए. इसके बाद स्पाइस जेट के चेयरमैन अजय सिंह बन गए.

मारन साल 2017 में रिफंड के लिए गए हाईकोर्ट

ये डील हो जाने के बाद कंपनी पर चल रहा 1500 करोड़ रुपये का कर्ज को अजय सिंह ने स्वीकार किया. मारन और केएएल एयरवेज ने स्पाइसजेट को कन्वर्टिबल वारंट और प्रेफरेंस शेयर के लिए 679 करोड़ का भुगतान भी किया. हालांकि ये भुगतान अजय सिंह के चेयरमैन बनने से पहले किया था. जिसके कारण मारन ने 2017 में रिफंड के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

मध्यस्थता में मारन का 1,323 करोड़ रुपये का हर्जाना हुआ खारिज

जुलाई 2018 में, सुप्रीम कोर्ट के तीन रिटायर्ड जजों के एक पैनल ने मध्यस्थता मामने में मारन के ₹ 1,323 करोड़ के हर्जाने के दावे को खारिज कर दिया, लेकिन ₹ 579 करोड़ और ब्याज वापस करने का आदेश दिया. दोनों पक्षों ने मध्यस्थता अधिनियम के तहत इस फैसले के कुछ हिस्सों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी.

साल 2023 में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

साल 2023 में, दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने मध्यस्थता निर्णय को बरकरार रखा और स्पाइसजेट और सिंह को वारंट के लिए 308 करोड़ रुपये और कन्वर्टिबल वारंट के लिए 270 करोड़ रुपये ब्याज सहित, वापस करने का आदेश दिया.

स्पाइसजेट ने दी खंडपीठ में चुनौती

स्पाइसजेट ने इस फैसले को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी. मई 2024 में, खंडपीठ ने मामले को नए सिरे से विचार के लिए एकल न्यायाधीश के पास वापस भेजकर स्पाइसजेट को राहत दी, साथ ही 270 करोड़ रुपये की वापसी पर रोक लगा दी. मारन और केएएल एयरवेज ने मामले को वापस भेजने के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन जुलाई 2024 में उनकी याचिका खारिज कर दी गई.

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इसके तुरंत बाद, उन्होंने एकल न्यायाधीश के 2023 के आदेश के खिलाफ अपनी लंबे समय से लंबित अपील को फिर से दायर किया, जिसकी वजह से उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने देरी के कारण मई 2025 में इसे खारिज कर दिया.

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