अबू सलेम की उम्रैकद की सजा के खिलाफ याचिका पर हलफनामा न देने से SC नाराज, केंद्र को दिया आखिरी मौका

अदालत ने केंद्रीय गृह सचिव  को 18 अप्रैल तक का समय दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव के हलफनामा दाखिल ना करने पर नाराज़गी जताई है.

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अबू सलेम की उम्रैकद की सजा के खिलाफ याचिका पर हलफनामा न देने से SC नाराज
नई दिल्ली:

गैंगस्टर अबू सलेम की उम्रैकद की सजा के खिलाफ याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को हलफनामा दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया. अदालत ने केंद्रीय गृह सचिव  को 18 अप्रैल तक का समय दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव के हलफनामा दाखिल ना करने पर नाराज़गी जताई है.  जस्टिस संजय किशन कौल ने SG तुषार मेहता से कहा कि अगर गृह सचिव के पास हलफनामा दाखिल करने का समय नहीं है तो हम उन्हें यहां बुला लेंगे. सलेम की ओर से पेश हुए वकील ऋषि मल्होत्रा की ओर इशारा करते हुए SG ने कहा सलेम मुंबई सीरियल ब्लास्ट में  अपराधी है. वह कोर्ट या सरकार के लिए शर्त नहीं दे सकता.  

जस्टिस कौल ने कहा कि हम इस व्यक्तिगत मामले पर नहीं, बल्कि इसके प्रभावों पर हैं. यह अन्य प्रक्रियाओं को बाधित कर सकता है. तुषार मेहता ने कहा कि ऐसी टिप्पणी न करें. यह अन्य मामलों में आपके लिए चिंता का कारण नहीं बनना चाहिए. प्रेस इसकी रिपोर्ट कर सकता है. जस्टिस कौल ने कहा उन्हें इसकी रिपोर्ट करने दीजिए. हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. इससे पहले मंगलवार सुबह गैंगस्टर अबु सलेम की ओर से मुंबई सीरियल ब्लास्ट और प्रदीप जैन से जबरन वसूली के मामले में दी गई सजा को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्रीय गृह सचिव का हलफनामा दाखिल नहीं हो पाया . 

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि इस मामले पर केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला से मौखिक जानकारी लेकर उसे कोर्ट तक पहुंचाया जाए. इसके बाद SG मेहता कोर्ट में पेश हुए . इससे पहले दो फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे ब्लास्ट के दोषी अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की मिली उम्रकैद की सजा पर केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या यह सजा सलेम के प्रत्यर्पण के दौरान भारत सरकार द्वारा पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन के खिलाफ नहीं है? भारत सरकार ने दिसंबर 2002 को पुर्तगाल सरकार को आश्वासन दिया था कि सलेम की कारावास 25 साल से अधिक नहीं हो सकती. 

सलेम की ओर से पेश हुए वकील ऋषि मल्होत्रा ने जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ से कहा था कि टाडा अदालत द्वारा सलेम को आजीवन कारावास की सजा देने का फैसला भारत द्वारा पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन के खिलाफ है. मल्होत्रा ने कहा कि टाडा कोर्ट का कहना था कि वह सरकार के आश्वासनों से बाध्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के पास इस संबंध में व्यवस्था देने की शक्ति है.  इसके अलावा वकील ऋषि मल्होत्रा ​​​​ने यह भी कहा था कि सलेम को 2002 में पुर्तगाल में हिरासत में लिया गया था और उसकी सजा पर उस तारीख से विचार किया जाना चाहिए न कि 2005 से जब उसे भारतीय अधिकारियों को सौंपा किया था. 

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मल्होत्रा की दलील पर पीठ ने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और CBI को सलीम की ओर से उठाए गए इन मसलों पर चार हफ्ते के भीतर हलफनामे के जरिए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. सलेम के खिलाफ दर्ज दो मुकदमों में सीबीआई अभियोजन एजेंसी है जबकि तीन मामलों में महाराष्ट्र सरकार . 

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18 सितंबर 2002 को अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी और मोनिका बेदी को पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था. दोनों को वहां से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया. सलेम को प्रदीप जैन हत्याकांड, बॉम्बे बम विस्फोट मामले और अजीत दीवानी हत्याकांड में प्रत्यर्पण दिया गया था. 11 नवंबर 2005 को जैसे ही सलेम को भारत लाया गया, उसे बॉम्बे बम विस्फोट मामले में CBI  ने गिरफ्तार कर लिया और बाद में आतंकवाद विरोधी दस्ते, मुंबई द्वारा हिरासत में ले लिया. प्रदीप जैन हत्याकांड टाडा कोर्ट ने सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी . 

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