सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2020 में तब्लीगी जमात में शामिल होने आए विदेशी नागरिकों को राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वो भविष्य में जमात में शामिल हुए विदेशी नागरिकों के वीज़ा पर ब्लैक लिस्टिंग आदेश से प्रभावित हुए बिना विचार करे. सुप्रीम कोर्ट ने 35 देशों के नागरिकों की याचिका पर फैसला देकर सुनवाई बंद की. अदालत ने कहा, दोनों पक्षों द्वारा उठाए गए कानूनों के सवाल में नहीं जाएंगे. किसी भी विदेशी याचिकाकर्ता को कोई ब्लैकलिस्टिंग आदेश नहीं दिया गया है और न ही ऐसा कोई ब्लैकलिस्टिंग आदेश भारत सरकार द्वारा कोर्ट में रिकॉर्ड पर रखा गया है. संबंधित प्राधिकरण को विदेशी नागरिकों के भविष्य के वीज़ा आवेदनों को कानून के अनुसार संसाधित करने का निर्देश दिया जाता है.
प्राधिकरण भारत सरकार के रुख से प्रभावित नहीं होगा, जिसमें ऐसे विदेशियों को 10 साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया था, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. दरअसल जमात में शामिल विदेशियों ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के दस साल तक ब्लैक लिस्ट करने के आदेश को चुनौती दी थी. उनका कहना था कि उनको कोई आदेश नहीं दिया गया है, न ही अपना पक्ष रखने का वक्त दिया गया.वहीं केंद्र की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा था कि सरकार एक रणनीति के तहत ब्लैक लिस्ट के आदेश नहीं देती.सरकार वीजा मैनुअल और ब्लैकलिस्टिंग नियमों को सार्वजनिक नहीं करती.
कई बार जब दूतावास को वीज़ा आवेदन प्राप्त होता है तो रॉ इनपुट, आईबी इनपुट होते हैं कि वो एक जासूस है, कि उसका कोई और इरादा है. फिर भी वीज़ा दिया जाता है और उसे निगरानी में रखा जाता है ताकि सरकार को पता चले कि स्थानीय लोग उसकी मदद कर रहे हैं. उसे बिना बताए ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है ताकि वह यहां के लोगों को यह न बताए कि मुझे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया है और आप सावधान रहे.