'तब तो रामलीला मैदान ही इनका घर हो जाएगा', सुप्रीम कोर्ट में किसानों पर बोले SG तुषार मेहता

खंडपीठ ने कहा, "आप किसी भी तरह विरोध करिए लेकिन इस तरह सड़क रोक कर नहीं रख सकते. कानून पहले से तय है. हमें क्या बार-बार यही बताना होगा." जस्टिस एसके कौल ने कहा, सड़कें साफ होनी चाहिए. हम बार-बार कानून तय करते नहीं रह सकते. आपको आंदोलन करने का अधिकार है लेकिन सड़क जाम नहीं कर सकते." 

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अब मामले की सुनवाई 7 दिसंबर को होगी.
नई दिल्ली:

किसानों के विरोध-प्रदर्शन के चलते हाई-वे जाम करने के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की बेंच ने मामले की सुनवाई की. इस दौरान किसानों की ओर से कोर्ट से अनुरोध किया गया कि मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद हो. किसानों की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे पैरवी कर रहे थे, जबकि सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता थे.

मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कानून पहले से तय है और रास्ता नहीं रोका जाना चाहिए. इस पर किसानों के वकील दवे ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि 2020 में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने आदेश दिया था कि विरोध-प्रदर्शन को ना हटाया जाए. इस पर कोर्ट ने कहा, 'लेकिन सड़क को ब्लॉक भी नहीं किया जा सकता है.'

दवे ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन स्थल पर किसानों ने सड़क ब्लॉक नहीं की है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार को परेशानी है तो विरोध-प्रदर्शन करने के लिए हमें रामलीला मैदान आने दिया जाए. इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि तब तो कुछ लोगों के लिए रामलीला मैदान ही घर हो जाएगा. वो  रामलीला मैदान और जंतर मंतर पर ही बैठे रहेंगे.

खंडपीठ ने कहा, "आप किसी भी तरह विरोध करिए लेकिन इस तरह सड़क रोक कर नहीं रख सकते. कानून पहले से तय है. हमें क्या बार-बार यही बताना होगा." जस्टिस एसके कौल ने कहा, सड़कें साफ होनी चाहिए. हम बार-बार कानून तय करते नहीं रह सकते. आपको आंदोलन करने का अधिकार है लेकिन सड़क जाम नहीं कर सकते." 

जस्टिस कौल ने कहा, "अब कुछ समाधान निकालना होगा. मामला विचाराधीन होने पर भी उन्हें विरोध करने का अधिकार है लेकिन सड़कों को जाम नहीं किया जा सकता. उन सड़कों पर लोगों को आना-जाना पड़ता है. हमें सड़क जाम के मुद्दे से समस्या है." इस पर एसजी तुषार मेहता  ने कहा, "26 जनवरी का मुद्दा गंभीर था."

मेहता ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है, पिर आंदोलन क्यों? कभी-कभी आंदोलन वास्तविक कारण के लिए नहीं बल्कि अन्य कारणों के लिए होते हैं." इस पर दवे ने उन्हें क्रॉस करते हुए कहा, "क्या कृषि कानून एक परोक्ष मुद्दा है? ये किसानों की सच्चाई पर सवाल उठा रहे हैं." 

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एसजी तुषार मेहता ने बात के समर्थन में कहा कि यहां सिर्फ 2 किसान संगठन आए हैं. इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि हम किसी को यहां आने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. सुप्रीम कोर्ट ने दवे से पूछा, आपकी दलील ये है कि सड़क से ना हटाया जाए या सड़क को पुलिस ने ब्लॉक किया है? इस पर दवे ने कहा, "दिल्ली पुलिस ने जिस तरह से बंदोबस्त किए हैं, उससे सड़कें जाम हो गई हैं. वे यह महसूस करा रहे हैं कि किसान सड़क को अवरुद्ध कर रहे हैं. हमें रामलीला मैदान में आने दें."

दवे ने मामले को तीन जजों की बेंच में भेजने की भी मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है. अब मामले की सुनवाई 7 दिसंबर को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जब संगठनों का जवाब आएगा तो तय करेंगे कि आगे आदेश जारी करें या फिर मामले को अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दें.

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