सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर जताई चिंता, कहा- इसे अनदेखा करना सबसे बेहतर

जस्टिस भुइयां ने कहा, सोशल मीडिया में ट्रोलिंग वास्तव में नृशंस है. हर कोई प्रभावित होता है. जज भी ट्रोल किए जाते हैं. हम किसी के पक्ष में आदेश पारित करते हैं, तो दूसरा पक्ष जज को ट्रोल कर देता है.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
नई दिल्ली:

सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अब जजों को भी नहीं बख्शा जाता है. सोशल मीडिया ट्रोलिंग 'नृशंस' है. कोर्ट ने सुझाव दिया कि 'असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदार लोगों' द्वारा की गई टिप्पणियों को अनदेखा करना सबसे अच्छा है.

दरअसल स्वाति मालीवाल हमला मामले के आरोपी विभव कुमार द्वारा दायर जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान, कोर्ट जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने ये टिप्पणियां की.

जमानत दिए जाने से पहले मालीवाल की ओर से पेश वकील ने पीठ के समक्ष ये शिकायत की कि घटना के बाद से ही सोशल मीडिया पर पीड़िता को शर्मिंदा करने और ट्रोल का सामना करना पड़ रहा है.

वकील ने कहा इस मामले में अपराध 13 मई को ही समाप्त नहीं हुआ है. उसके बाद जिस तरह की ट्रोलिंग और पीड़ित को शर्मिंदा किया जा रहा है, मुझे शिकायत दर्ज करानी है. याचिकाकर्ता के दोस्त एक्स पर, मेल पर, सोशल मीडिया पर, हर जगह लगातार ट्रोलिंग कर रहे हैं.

इस दलील का वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि विभव 'X ' को नियंत्रित नहीं करता है. हालांकि, पीठ ने मालीवाल की शिकायत पर सहानुभूति जताई.

जस्टिस भुइयां ने कहा, सोशल मीडिया में ट्रोलिंग वास्तव में नृशंस है. हर कोई प्रभावित होता है. जज भी ट्रोल किए जाते हैं. हम किसी के पक्ष में आदेश पारित करते हैं, तो दूसरा पक्ष जज को ट्रोल कर देता है.

इस पर पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ऐसे मामलों को अनदेखा करना बेहतर है. गैर-ज़िम्मेदार लोगों का एक बड़ा वर्ग, दुर्भाग्य से उन्हें इस मंच तक पहुंच मिल गई है. वे पूरी तरह से असंवेदनशील, गैर-ज़िम्मेदार हैं. वे अपने कर्तव्यों से अवगत नहीं हैं. केवल कुछ कथित अधिकारों के बारे में सोचते हैं. वे सभी संस्थानों पर हमला करना जारी रखेंगे. इसके अलावा उन्हें नज़रअंदाज़ करना होगा.

Featured Video Of The Day
NDTV Indian Of The Year 2025: IISc की प्रोफेसर Gali Madhavi Latha को ‘साइंस आइकन ऑफ द ईयर’
Topics mentioned in this article