राज्यसभा सदस्यों और विधान परिषद के सदस्यों के चुनाव में सीक्रेट बैलेट (Secret Ballot) की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस याचिका को खारिज करते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले के फैसले अदालत तय कर चुका है. याचिका में मांग की गई थी कि वोटिंग के दौरान वोटर को अपना बैलेट पार्टी द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि को दिखाना होता है. इसलिए ये सीक्रेट बैलेट की अवधारणा का उल्लंघन है.
एनजीओ लोक प्रहरी की तरफ से दाखिल की गई याचिका में ये भी मांग की गई थी कि जिसे भी राज्यसभा या विधान परिषद का नामांकन भरना हो, उसके लिए कम से कम 10 सदस्य बतौर प्रस्तावक होने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने लोक प्रहरी एनजीओ की इन मांगों को खारिज कर दिया.
बता दें कि राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य होते हैं. इनमें कुल 238 सदस्य चुने जाते हैं, जबकि 12 सदस्य मनोनीत किए जाते हैं. राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है. हर 2 साल पर करीब एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होता है और फिर से चुनाव होते हैं. हालांकि किसी सदस्य के निधन के बाद या फिर अन्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद, उन सीटों पर बीच में ही चुनाव कराने होते हैं.
नियमों के अनुसार उम्मीदवारों के नामांकन पत्र में प्रस्तावक के तौर पर कुल संख्या के 10 प्रतिशत या सदन के कम से कम 10 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव किया जाना चाहिए.
राज्यसभा सदस्य के चुनाव में लोकसभा या विधानसभा चुनावों की तरह आम आदमी वोट नहीं डालता है. इसमें आम जनता द्वारा चुने गए जन प्रतिनिधि (विधायक) हिस्सा लेते हैं और वे ही वोट डालते हैं. इसलिए माना जाता है कि जिस राज्य में जिस पार्टी के ज्यादा विधायक होते हैं, वहां से उनकी पार्टी के राज्यसभा सदस्य बनने की संभावना प्रबल रहती है.
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