Supertech Emerald Court Case: नोएडा में 40 मंजिला सुपरटेक ट्विन टावर (Supertech twin tower) को ढहाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने टावर गिराए जाने के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है. नाराज सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता संगठन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. SC ने कहा है कि जुर्माने का उपयोग उन वकीलों के परिवार के लाभ के लिए किया जाना चाहिए जो COVID-19 से प्रभावित हुए है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को "स्पष्ट रूप से विकृत" कहा है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक बार फैसला दे दिया गया जो अंतिम हो गया है. आप इस मामले में जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? याचिका का उद्देश्य उस परिणाम की तलाश करना है जो सीधे इस न्यायालय के फैसले के विपरीत है. दरअसल, 31 अगस्त, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में एमराल्ड कोर्ट परियोजना में मानदंडों के उल्लंघन के कारण रियल एस्टेट प्रमुख सुपरटेक लिमिटेड द्वारा निर्मित 40 मंजिला ट्वीन टावरों को ढहाने का निर्देश दिया था. सेंटर फॉर लॉ एंड गुड गवर्नेंस नामक संस्था ने विध्वंस के खिलाफ याचिका दायर की थी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और सुधांशु धूलिया की बेंच ने PIL को खारिज करते हुए पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया. इससे पहले, 21 अगस्त को निर्धारित ढहाने की तारीख से पहले सरकारी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने सुप्रीम कोर्ट के सामने परेशानी रखी थी. सरकारी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कहा था कि कि ट्विन टावर ढहाने पर उसे पूरा डेटा नहीं दिया गया. आसपास की इमारतों पर ब्लास्ट के प्रभाव के बारे में जानकारी नहीं दी गई .ए.
केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान ( CBRI), रुड़की ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि संरचनात्मक मुद्दों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी के छिपाने के कारण ढहाने की योजना की व्यवहार्यता का अध्ययन करने में असमर्थ है. SC ने सुपरटेक, एडिफिस ( ढहाने के लिए चुनी गई एजेंसी), नोएडा के अधिकारियों को 5 अगस्त तक CBRI को योजना के बारे में सभी जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने CBRI, सुपरटेक, एडिफिस और नोएडा के अधिकारियों को तोड़फोड़ योजना को अंतिम रूप देने के लिए 6 अगस्त को बैठक करने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि एडिफिस और सुपरटेक को CBRI के साथ सहयोग करना चाहिए और सभी प्रासंगिक जानकारी प्रदान करनी चाहिए. तोड़फोड़ वर्तमान में 21 अगस्त को होने वाली है. SC ने दोनों इमारतों को ढहाने की समय सीमा 28 अगस्त निर्धारित की है. मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी.
CBRI के मुख्य वैज्ञानिक डी पी कानूनगो ने पीठ को बताया कि न तो सुपरटेक और न ही एडिफिस ने विस्फोट के डिजाइन, जमीन के कंपन अनुमान और इसकी निगरानी के लिए तंत्र, विध्वंस के बाद के मलबे का आकलन, धूल के बादल जो निकलेंगे और आसपास की इमारतों पर इसके प्रभाव से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है. साथ ही पास के पक्षी अभयारण्य, परीक्षण विस्फोट इनपुट और आसपास के भवनों की संरचनात्मक लेखा परीक्षा की जानकारी दी है. कानूनगो ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वे अदालत को सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट में ढहाने के अभ्यास के कई पहलुओं के बारे में तथ्य पेश नहीं कर रहे हैं. हम वैज्ञानिक रूप से योजना का मूल्यांकन तभी कर सकते हैं जब हमें सभी पहलुओं पर सही डेटा प्रदान किया जाए. हमने उन्हें आश्वासन दिया है कि हम उनके IP अधिकारों की रक्षा करेंगे. फिर भी, वे पूरी जानकारी नहीं दे रहे हैं.
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