समाजवादी पार्टी नेता आजम खान के बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म खान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. पासपोर्ट बनवाने के लिए फर्जी दस्तावेज़ इस्तेमाल करने के आरोप में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी. जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि जब ट्रायल पहले ही पूरा हो चुका है, तो इस स्तर पर अदालत का दखल देना उचित नहीं होगा. जस्टिस सुंदरेश ने टिप्पणी की, “ट्रायल कोर्ट पर भरोसा रखिए. जब ट्रायल पूरा हो चुका है, तो हमें क्यों दखल देना चाहिए.”
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट सभी मुद्दों पर स्वतंत्र रूप से फैसला करेगा और हाईकोर्ट के आदेशों से प्रभावित नहीं होगा. यह मामला उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के सिविल लाइंस थाने में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है. आरोप है कि अब्दुल्ला आज़म ने पासपोर्ट बनवाने के लिए जाली दस्तावेज़ों में अपनी जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 दर्ज कराई, जबकि स्कूल रिकॉर्ड के अनुसार उनकी वास्तविक जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 है.
इस मामले में अब्दुल्ला आज़म के खिलाफ IPC की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत मुकदमा चल रहा है. 9 सितंबर 2021 को आरोप तय किए जा चुके हैं. गौरतलब है कि इससे पहले अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आज़म और आज़म खान की एक अन्य याचिका भी खारिज की थी, जिसमें उन्होंने विधानसभा चुनाव में नामांकन दाखिल करने के लिए फर्जी जन्म प्रमाणपत्र और पैन कार्ड के इस्तेमाल से जुड़ी एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी.
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