पटाखा बैन के मामले में एनजीटी के आदेश में दखल नहीं देगा सुप्रीम कोर्ट, याचिका खारिज

 जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि पटाखों का स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर पड़ता है, इसके लिए किसी अध्धयन या शोध की जरूरत नहीं है. क्या हमें आपके फेफड़ों पर पटाखों के प्रभाव को समझने के लिए IIT की आवश्यकता है?

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एनजीटी के पटाखा बैन के आदेश में दखल नहीं देगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन के मामले NGT के आदेश में दखल देने से इंकार कर दिया है. कोविड के समय जिन इलाकों में हवा की गुणवत्ता खराब है, वहां पटाखों पर बैन रहेगा. कोर्ट ने कहा कि एनजीटी के आदेश में ही स्पष्ट है कि जिन इलाकों में हवा की गुणवत्ता खराब होगी,वहां पटाखों की बिक्री और चलाने पर बैन रहेगा. जिन इलाको में एयर क्वालिटी बेहतर है,वहां इजाज़त दी जा सकती है.  सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेशों के खिलाफ याचिका खारिज की.  

 जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि पटाखों का स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर पड़ता है, इसके लिए किसी अध्धयन या शोध की जरूरत नहीं है. क्या हमें आपके फेफड़ों पर पटाखों के प्रभाव को समझने के लिए IIT की आवश्यकता है?  यह सामान्य ज्ञान है. हम 2017 से एक लंबा सफर तय कर चुके हैं और अब हम महामारी के बीच में हैं 

दिसंबर 2020 में NGT अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने उन क्षेत्रों में पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था, जहां COVID-19 महामारी के मद्देनजर AQI खराब है. इसने आगे निर्देश दिया था कि क्रिसमस और नए साल के दौरान एक निश्चित अवधि के लिए केवल ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया जा सकता है. DM को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री नहीं की जाएगी और उल्लंघन के मामलों में मुआवजे की वसूली का अधिकार दिया गया था.

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