'क्या आम आदमी से पूछें कि उपराष्ट्रपति कहां रहेंगे?'- सेंट्रल विस्टा से जुड़ी याचिका पर SC की सख्त टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वहां कोई प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं बनाई जा रही है, ​बल्कि उपराष्ट्रपति का आवास बनाया जा रहा है. लिहाजा चारों ओर हरियाली होना तय है. योजना को पहले ही प्राधिकरण द्वारा मंजूरी दे दी गई है.

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सुप्रीम कोर्ट में सेंट्रल विस्टा पर सुनवाई
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना में चिल्ड्रन पार्क व हरित क्षेत्र का लैंडयूज बदलने के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वहां कोई प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं बनाई जा रही है, ​बल्कि  उपराष्ट्रपति का आवास बनाया जा रहा है. लिहाजा चारों ओर हरियाली होना तय है. योजना को पहले ही प्राधिकरण द्वारा  मंजूरी दे दी गई है. आप उस प्रक्रिया में दुर्भावना का आरोप नहीं लगा रहे हैं.  गौरतलब है कि याचिकाकर्ता राजीव सूरी ने अपनी याचिका में कहा था कि सेंट्रल विस्टा के प्लाट नंबर एक का इस्तेमाल रिक्रिएशनल सुविधाओं के लिए होना था, लेकिन इसका इस्तेमाल आवासीय के लिए किया जा रहा है. 

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि यह नीतिगत मामला है. हर चीज की आलोचना की जा सकती है, लेकिन रचनात्मक आलोचना होनी चाहिए. वीपी का आवास कहीं और कैसे हो सकता है? उस जमीन का इस्तेमाल हमेशा से सरकारी काम के लिए किया जाता रहा है. आप कैसे कह सकते हैं कि एक बार मनोरंजन क्षेत्र के लिए सूचीबद्ध होने के बाद इसे कभी नहीं बदला जा सकता है? भले ही किसी समय इसे मनोरंजन क्षेत्र के रूप में नामित किया गया हो. क्या अधिकारी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए इसे संशोधित नहीं कर सकते? क्या अब हम आम आदमी से पूछना शुरू करेंगे कि उपराष्ट्रपति का आवास कहां बने? 

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एसजी तुषार मेहता ने कहा, "हम समग्र विकास के हिस्से के रूप में हरित क्षेत्र बढ़ा रहे हैं. क्या यह अंकगणित की बात है कि अगर वे यहां कुछ वर्ग मीटर ले रहे हैं तो उन्हें इसकी भरपाई कहीं और करनी चाहिए. केंद्र के हलफनामे में पहले ही कहा गया है कि वे पहले ही मुआवजे के तौर पर ज्यादा हरित क्षेत्र दे रहे हैं. अब आप किस सिद्धांत पर चुनौती दे रहे हैं?"  याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मनोरंजन क्षेत्र में जनहित भूमि उपयोग में परिवर्तन किया जा रहा है. 

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इससे पहले केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से सेंट्रल विस्टा के खिलाफ दायर नई याचिका को खारिज करने की मांग की थी. केंद्र ने कहा कि याचिका को जुर्माने के साथ खारिज किया जाए. केंद्र ने कहा है कि उक्त प्लॉट नंबर 1 का क्षेत्र वर्तमान में सरकारी कार्यालयों के रूप में उपयोग किया जा रहा है और 90 सालों से ये रक्षा भूमि है. ये कोई मनोरंजक गतिविधि (पड़ोस खेल क्षेत्र) नहीं है. 

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केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि सेंट्रल विस्टा के समग्र सार्वजनिक उद्देश्य और उसके पीछे समग्र दृष्टि पर विचार करते हुए मनोरंजन के उद्देश्य के लिए विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्रों में वृद्धि की है और कई सुविधाएं जोड़ी हैं. सेंट्रल विस्टा परियोजना में जनता के बड़े लाभ के लिए मौजूदा सुविधाओं के अलावा सार्वजनिक सुविधाएं होंगी. केंद्र परियोजनाओं की सार्वजनिक प्रकृति के बारे में जानता है. विशेष रूप से बड़ी दृष्टि योजना में विभिन्न सार्वजनिक सुविधाओं को जोड़ने की कोशिश की जा रही है. मनोरंजन के उद्देश्यों के लिए बहुत सारी जगह बनाई है जिससे यहां मनोरंजन क्षेत्र में खासी बढ़ोतरी हुई है.

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केंद्र सरकार ने SC में हलफनामा दाखिल कर बताया है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत करीब 27 एकड़ में फैले नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को नेशनल म्यूजियम के रूप में तब्दील किए जाने की योजना है. इस म्यूजियम में 'प्रागैतिहासिक से लेकर आज तक के' भारत के बनने के सफर को दर्शाया जाएगा. ये म्यूजियम आम पब्लिक के लिए खुला रहेगा. केंद्र सरकार के मुताबिक सभी मंत्रालयों को राजपथ के दोनों तरफ सेंट्रल सेक्रेटेरिएट बिल्डिंग में शिफ्ट किया जाएगा.

सरकार ने ये हलफनामा उस याचिका के जवाब में दाखिल किया है, जिसमे प्लॉट नंबर 1 के लैंड यूज बदले जाने के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि ये नोटिफिकेशन जमीन को रिक्रिएशनल (पार्क जैसी खुली जगह) से रेसिडेंशियल(आवासीय) में बदले जाने को की इजाजत देता है. जवाब में केन्द्र सरकार का कहना है कि याचिकाकर्ता ने गलत जानकारी कोर्ट को दी है. जिस प्लॉट पर सवाल उठाया है , वो कभी पब्लिक के लिए के लिए खुला नहीं रहा है और करीब 90 सालों से रक्षा मंत्रालय के सरकारी दफ्तरों के लिए इस्तेमाल होता रहा है. इस इलाके के आस पास कोई रेसिडेंशियल कॉलोनी नहीं है, सिर्फ रक्षा मंत्रालय के दफ्तर वहां काम कर रहे है.

सरकार ने याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल उठाते हुए याचिका खारिज करने के साथ साथ उस पर जुर्माना लगाने की मांग भी की है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से  रिक्रिएशनल से आवासीय जमीन करने पर जवाब मांगा था. याचिकाकर्ता राजीव सूरी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि सेंट्रल विस्टा के प्लाट नंबर एक का इस्तेमाल रिक्रिएशनल सुविधाओं के लिए होना था, लेकिन इसका इस्तेमाल आवासीय के लिए किया जा रहा है. इसके जवाब में केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वो तीन दिनों में इसका जवाब दाखिल कर देंगे और सरकार से निर्देश लेंगे.


उन्होंने कहा कि उनका विचार है कि संसद का निर्माण चल रहा है. राष्ट्रपति भवन और उपराष्ट्रपति भवन भी हैं, ऐसे में सुरक्षा क्षेत्र में रिक्रिएशनल एरिया संभव नहीं हो सकता है. याचिका में कहा गया है कि भूमि उपयोग में अवैध परिवर्तन के माध्यम से, अधिसूचना से दिल्ली के निवासियों को सामाजिक और मनोरंजक गतिविधियों के लिए उपलब्ध सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में अत्यधिक कीमती खुले और हरे भरे स्थान से वंचित कर दिया गया है. सेंट्रल विस्टा परियोजना से मौजूदा इमारतों को ध्वस्त करने, विरासत भवनों को बदलने और संशोधित करने, प्रतिष्ठित इमारतों को ध्वस्त करने, 1960 के युग की ठोस इमारतों को बदलने, जिला पार्क और बच्चों के मनोरंजन पार्क के रूप में खुली जगहों पर कब्जा करने का प्रयास किया गया है, जो भारत के सभी लोगों से संबंधित हैं. लिहाजा उस अधिसूचना को रद्द किया जाए जो भूमि उपयोग में परिवर्तन की अनुमति देती है. दिल्ली के निवासियों के लिए एक स्वस्थ जीवन और पर्यावरण के परिणाम के रूप में मनोरंजक खुले स्थानों के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए.

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