फ्यूचर-रिलायंस डील प्रक्रिया में आगे बढ़ने के लिए अब दिल्ली हाईकोर्ट जाएं: सुप्रीम कोर्ट

फ्यूचर ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हमें शेयरधारक की मंज़ूरी हासिल करने की अनुमति दी जानी चाहिए.  CCI, NCLAT से मंजूरी लेने के लिए प्रक्रिया को आगे बढ़ने देना चाहिए. सौदे को अंतिम रूप देने में महीनों तक चलने वाली लंबी प्रक्रियाएं शामिल हैं.

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फ्यूचर ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हमें शेयरधारक की मंज़ूरी हासिल करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रिलायंस के साथ डील के लिए मंजूरी मांगने के लिए फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) को आगे बढ़ने की अनुमति देने के मुद्दे को दिल्ली हाईकोर्ट को ले जाने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट  को यह तय करने का निर्देश दिया कि क्या FRL को रिलायंस डील के लिए मंजूरी लेने की प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी जा सकती है?

फ्यूचर ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट से रिलायंस के साथ 24713 करोड़ रुपये की एसेट डील प्रकिया को NCLAT की मंजूरी के लिए आगे बढ़ाने की इजाजत मांगी थी. तीन फरवरी सुप्रीम कोर्ट ने फ्यूचर ग्रुप की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रखा था. अब सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना था कि क्या फ्यूचर ग्रुप को फ्यूचर रिटेल - रिलायंस एसेट सेल डील के लिए रेगुलेटरी मंजूरी के लिए प्रक्रिया की इजाजत दी जा सकती है?

फ्यूचर ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हमें शेयरधारक की मंज़ूरी हासिल करने की अनुमति दी जानी चाहिए.  CCI, NCLAT से मंजूरी लेने के लिए प्रक्रिया को आगे बढ़ने देना चाहिए. सौदे को अंतिम रूप देने में महीनों तक चलने वाली लंबी प्रक्रियाएं शामिल हैं.

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अदालत ने पहले ही अमेज़ॉन को यह निर्देश देकर सुरक्षित कर दिया है कि सौदे की अनुमति के लिए कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया जाएगा. यदि अनुमोदन लंबित होने तक अंतिम चरण तक सौदे को आगे बढ़ने की अनुमति दी जाती है तो कोई नुकसान नहीं होगा. अमेज़ॉन प्रक्रिया को पंगु बनाने की कोशिश कर रहा है.  FRL को उधारदाताओं की ओर से दिवालियापन की कार्यवाही की धमकी का सामना करना पड़ रहा है. 

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पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट ने सिंगापुर ट्रिब्यूनल में अमेजॉन की मध्यस्थता की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले को अमेजॉन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसलों पर रोक लगाते हुए मामले को फिर से हाईकोर्ट भेज दिया था. 

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पांच जनवरी को डिवीजन बेंच ने फ्यूचर ग्रुप की अपील पर अंतरिम आदेश पारित किया कि एक फरवरी को अगली सुनवाई तक मध्यस्थता पर रोक रहेगी. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के सिंगापुर में मध्यस्थता जारी रखने के आदेश पर रोक लगाई गई थी.

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हाईकोर्ट ने कहा था कि CCI द्वारा डील को दी गई मंजूरी पर रोक लगाने और उस पर तथ्यों को छुपाने के फैसले से प्रथम दृष्टया मामला फ्यूचर ग्रुप के पक्ष में है. इससे पहले  हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने फ्यूचर की सिंगापुर में मध्यस्थता को समाप्त करने की याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद मामले में डिवीजन बेंच के सामने अपील की गई थी.  

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दरअसल भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के 18 दिसंबर में  2019 के  अमेज़ॅन- फ्यूचर डील के लिए मंजूरी को निलंबित कर दिया था. CCI का फैसला था कि अमेज़ॅन द्वारा प्रासंगिक जानकारी का खुलासा नहीं किया गया था.  CCI ने अमेज़ॅन पर ₹200 करोड़ का जुर्माना भी लगाया था लेकिन उसने अमेज़ॅन को 17 फरवरी तक नए दस्तावेज़ दाखिल करने का समय दिया, जिसके बाद वह सौदे की अनुमति पर पुनर्विचार करेगा.

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