'इतना कीचड़ उछालो कि...'- 25 लाख जुर्माना न चुकाने पर एक NGO के अक्ष्यक्ष को SC ने ठहराया अवमानना का दोषी

NGO सुराज इंडिया ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव दहिया को अदालत को लगातार बदनाम करने और डराने के अवमानना का दोषी ठहराया है. कोर्ट ने कहा कि दहिया ने अदालत के अधिकार क्षेत्र का बार-बार दुरुपयोग करते हुए 64 जनहित याचिका दायर करने के लिए उन पर लगाए गए 25 लाख रुपये के जुर्माने का भुगतान नहीं किया है.

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NGO सुराज इंडिया ट्रस्ट के अध्यक्ष पर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

बेकार याचिकाएं दाखिल करने पर 25 लाख का जुर्माना ना चुकाने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक NGO सुराज इंडिया ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव दहिया को अदालत को लगातार बदनाम करने और डराने के अवमानना का दोषी ठहराया है. कोर्ट ने कहा कि दहिया ने अदालत के अधिकार क्षेत्र का बार-बार दुरुपयोग करते हुए 64 जनहित याचिका दायर करने के लिए उन पर लगाए गए 25 लाख रुपये के जुर्माने का भुगतान नहीं किया है. अवमानना के मामले में सात अक्टूबर को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'दहिया को कोई पछतावा नहीं है. हालांकि, सजा के मुद्दे पर उसे सुनवाई का अधिकार नहीं है लेकिन हम फिर भी उसे अंतिम सजा के सवाल पर उसे सुनने का एक और मौका देते हैं.'

'आप जिस भाषा में बोल रहे हैं....'

दरअसल, अदालत की अवमानना का मामला चले या नहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने NGO अध्यक्ष को कहा था कि तीन दिनों के भीतर माफीनामा दाखिल कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल ने अध्यक्ष राजीव दहिया को हिंदी में समझाते हुए कहा कि 'न्याय व्यवस्था में एक ही पक्ष जीतता है, दूसरा हारता है. इसका मतलब ये नहीं कि न्याय हुआ ही नहीं. न्याय वो नहीं है जो आप चाहते हो. न्याय तो अपनी नजर और नजरिए से चलता है आपकी इच्छा से नहीं. आप जिस भाषा में बोल रहे हैं हम उसी भाषा में आपको समझा रहे हैं.'

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जस्टिस ने आगे कहा, 'आप सीधे-सीधे न्याय व्यवस्था को ही दोष दे रहे हैं और न्यायपालिका व जजों को जो मन में आए वो बोलते जा रहे हैं. हमारा काम न्याय करने का है. हम न्याय करने को बैठे हैं. आपके कुछ भी बोलने से हम पर फर्क नहीं पड़ेगा. कानून तो सबके लिए बराबर है. आपके ऊपर है कि आप उसका इस्तेमाल कैसे करते हो. अब आप अपनी लाइसेंसी पिस्टल से गोली चला कर किसी को मार दो फिर कहो कि गलती मेरी नहीं लाइसेंस देने वाले की है, ये कोई तरीका है? ऐसे नहीं चलेगा.लेकिन आपकी आदत है कि इतना कीचड़ उछालो कि सामने वाला खुद ही पीछे हट जाए.'

2017 में कोर्ट ने दिया था 25 लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने बेकार और गंभीरता से विचार न करने वाली याचिकाओं को दाखिल करने के मामले में सुराज़ इंडिया ट्रस्ट NGO को  25 लाख का जुर्माना लगाया था. सुप्रीम कोर्ट ने सुराज़ इंडिया ट्रस्ट और उसके अध्यक्ष राजीव दहिया को आजीवन कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने से भी बैन कर दिया था. 

इससे पहले दिसंबर, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सुराज़ इंडिया ट्रस्ट NGO को 25 लाख रुपये जुर्माना के देने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने सुराज़ इंडिया ट्रस्ट NGO की आदेश को वापस लेने की याचिका को ख़ारिज किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपने कई याचिकाएं दाखिल की थी जिसकी वजह से आप पर जुर्माना लगाया गया, जिस बेंच ने आप पर जुर्माना लगाया था उसने आपको अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया था. अब आपको जुर्माने की रकम देनी होगी. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने ट्रस्ट से सवाल किया था कि 'आपने अब तक 64 याचिकाएं दाखिल की थी और सभी ख़ारिज हुई है. आखिर आप ऐसा कैसे कर सकते हैं?' मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि ट्रस्ट की याचिकाओं से कोर्ट का समय बर्बाद हुआ है.

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