हाईकोर्टों में एडहॉक जजों की नियुक्ति का रास्ता सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया

उच्च न्यायालयों में आपराधिक, सिविल और कॉरपोरेट के पुराने मामलों को निपटाने के लिए एडहॉक जजों की नियुक्ति की जाएगी

विज्ञापन
Read Time: 20 mins
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

सभी हाईकोर्टों (High Courts) में एडहॉक जजों (Adhoc Judges) की नियुक्ति का रास्ता सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साफ कर दिया है. आपराधिक, सिविल और कॉरपोरेट के पुराने मामलों को निपटाने के लिए एडहॉक जजों की नियुक्ति होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सेवानिवृत्त हाईकोर्ट न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं. कानून मंत्रालय हाईकोर्ट के साथ मिलकर काम करेगा और चार महीने में रिपोर्ट सौंपेगा. 

मुकदमों के लगातार बढ़ते बोझ को कम करने के उद्देश्य से हाईकोर्ट में  एडहॉक जजों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या कोई ऐसा प्रावधान है जो यह कहता है कि जजों की प्रस्तावित संख्या पर नियुक्ति पूरी किए बिना एडहॉक जजों की नियुक्ति को रोकता है.

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) एसके सूरी ने कहा कि बिना एडहॉक जजों की नियुक्ति करके भी अदालतों में लंबित केसों का बोझ कम किया जा सकता है. अगर प्रस्तावित जजों की नियुक्ति हो जाए तो एडहॉक जजों की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन एडहॉक जजों की नियुक्ति तभी की जा सकती है जब नियमित जजों की नियुक्ति पूरी हो जाए. जस्टिस एसके कौल ने कहा कि मुख्य न्यायधीश का मानना है कि जब तक प्रस्तावित नियुक्ति पूरी जा रही है तब तक एडहॉक जज हाईकोर्ट में लंबित मामलों का बोझ कम करने में मदद कर सकते हैं. 

Advertisement

चीफ जस्टिस ने कहा कि कॉलेजियम और मंत्रालय के महत्व को हम समझते हैं और उनके पूर्ववर्ती न्यायाधीशों की उपयुक्तता और क्षमता पर विचार कर रहे हैं. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी फाइल राष्ट्रपति को तब तक नहीं पहुंच सकती, जब तक कि वह मंत्रालय के माध्यम से नहीं जाती, और जब तक मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट कालेजियम से सिफारिशें नहीं मिलेंगी. इस प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है परंतु अन्य कोई मार्ग नहीं नियुक्त किया जा सकता. 

Advertisement

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इलाहबाद हाईकोर्ट में लंबित आपराधिक मामलों की सूची बहुत लंबी है. कोर्ट में कई मामले 20 साल से लंबित हैं. CJI ने सुझाव दिया कि नए मामलों को रेगुलर बेंच के पास भेजा जाए जबकि पुराने लंबित मामलों को एडहॉक जजों के पास भेजा जाए. CJI ने कहा कि लंबित मामलों की समीक्षा की जाने की ज़रूरत है. इसे लंबित कैटेगरी या विषय के अनुसार देखा जाना चाहिए. इसके लिए एडहॉक जजों को नियुक्त किया जा सकता है. एक बार हमारे पास बेंच मार्क हो जाने के बाद प्रक्रिया को समझने की जरूरत है. पूर्व न्यायाधीशों की सूची तैयार की जा सकती है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Jaipur CNG Tanker Blast: 2 दिन में 3 राज्यों में 3 बड़े हादसे | Bus Fire News
Topics mentioned in this article