सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में भी सुनवाई के दौरान कई बार ऐसे वाकये भी आते हैं, जो यादगार बन जाते हैं. दरअसल, कई बार असल जिंदगी में फिल्मों का बड़ा असर होता है. ऐसे में फिल्मों जैसे मामले अदालत में पहुंचते हैं तो अदालत भी फिल्मों के सवाल पूछ लेती है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मेडिकल कॉलेज (medical college) के एक मामले से निपटने के दौरान बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस का जिक्र किया. महाराष्ट्र के धुले के इस मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी गई है क्योंकि औचक निरीक्षण के दौरान ये बताया गया था कि "पीडियाट्रिक वार्ड में सभी रोगी स्वस्थ और सही पाए गए" और कोई गंभीर मरीज मिला है.
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वहीं राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने शीर्ष अदालत को बताया कि कॉलेज में कोई ऑपरेशन थियेटर और एक्स-रे मशीन नहीं होने के कारण मान्यता रद्द कर दी गई थी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा, यह चौंकाने वाला है,यह मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म की तरह है.
वार्ड के सभी मरीज स्वस्थ और हृष्ट-पुष्ट पाए गए.पीडियाट्रिक वार्ड में कोई गंभीर मरीज नहीं था.हम यह नहीं बता सकते कि निरीक्षण रिपोर्ट में हमें और क्या मिला. हम हैरान थे. धुले के उस मेडिकल कॉलेज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि NMC द्वारा बिना किसी नोटिस के निरीक्षण किया गया था. वह भी मकर संक्रांति' के दिन जो सार्वजनिक अवकाश है. पीठ ने सिंघवी से कहा, मकर संक्रांति' पर बीमारी नहीं रुकती. आपके मुवक्किल ने यह नहीं कहा कि कोई मरीज नहीं था.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ NMC और महाराष्ट्र के धुले जिले में स्थित मेडिकल कॉलेज द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी. हाईकोर्ट ने NMC द्वारा कॉलेज के नए निरीक्षण का निर्देश दिया था और छात्रों के प्रवेश की अनुमति दी थी. वहीं सिंघवी ने कहा, कॉलेज 1992 से 100 MBBS सीट क्षमता के साथ चल रहा है और इसलिए NMC के पास इन सीटों पर प्रवेश की अनुमति वापस लेने का अधिकार नहीं है. NMC ने निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर अतिरिक्त 50 सीटों की अनुमति नहीं दी. बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के आदेशों को रद्द कर दिया और नए सिरे से विचार करने के लिए कहा.