कोरोना के टीके से 'दिव्यांग' हुए व्यक्ति को 'सुप्रीम' सलाह, हर्जाने के लिए दायर करें मुकदमा

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वह अगर आप हर्जाने के लिए मुकदमा करेंगे तो आपको कुछ राहत मिल सकती है. याचिकाकर्ता का दावा है कि कोरोना के टीके की पहली डोज लेने से उसके पैरों ने पूरी तरह काम करना बंद कर दिया है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने कथित तौर पर कोविड-19 टीके की पहली खुराक के दुष्प्रभावों के कारण दिव्यांगता का सामना करने वाले एक याचिकाकर्ता से कहा है कि वह अपनी याचिका को आगे बढ़ाने के बजाय हर्जाने के लिए मुकदमा दायर करे.याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से एक हफ्ते का समय मांगा. इस पर अदालत ने इस मामले को एक हफ्ते बाद के लिए सूचीबद्ध किया है. इस मामले में याचिकाकर्ता की मांग है कि केंद्र सरकार और कोविशील्ड टीका बनाने वाली कंपनी यह सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति के रूप में सम्मान के साथ रह सके.

देश की शीर्ष अदालत ने क्या कहा है 

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कोविड-19 टीकाकरण के विशेष संदर्भ में टीकाकरण के बाद होने वाले दुष्प्रभावों (एईएफआई) के प्रभावी समाधान के लिए उचित दिशा-निर्देश निर्धारित करने के निर्देश देने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.

पीठ ने कहा,"अगर आप अपनी याचिका यहीं लंबित रखेंगे तो दस साल तक कुछ नहीं होगा. यदि आप कम से कम मुकदमा दायर करेंगे तो आपको कुछ त्वरित राहत मिलेगी." इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि व्यक्ति कोविड टीके की पहली खुराक लेने के बाद उसके प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित है, क्योंकि उसके पैरों में 100 प्रतिशत दिव्यांगता हो गई है.

Advertisement

न्यायमूर्ति गवई ने कहा,"इसके लिए रिट याचिका कैसे दायर की जा सकती है? क्षतिपूर्ति के लिए मुकदमा दायर करें." इस पर वकील ने कहा कि समान मुद्दे को उठाने वाली दो अलग-अलग याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं और समन्वय पीठों ने उन पर नोटिस जारी किए हैं.

Advertisement

अदालत ने क्या दलील दी है

अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता चाहे तो उसकी याचिका को लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया जाएगा. पीठ ने कहा कि यह याचिका लंबे समय तक शीर्ष अदालत में लंबित रह सकती है और 10 साल तक इस पर सुनवाई नहीं हो सकती.

Advertisement

वकील ने पीठ से अनुरोध किया कि उन्हें अपने मुवक्किल के साथ इस पर चर्चा करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए.
पीठ ने कहा,"यदि कम से कम मुकदमा दायर किया जाता है, तो एक साल, दो साल या तीन साल के भीतर आपको कुछ राहत मिलेगी." इसके बाद मामले को एक हफ्ते के बाद के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया.

Advertisement

याचिका में केंद्र और कोविशील्ड टीके के निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति के रूप में सम्मान के साथ रह सके.

ये भी पढ़ें: नीले ड्रम के बाद सूटकेस कांड: मामी ने प्रेमी-भांजे के साथ मिलकर पति का मर्डर करके सूटकेस में ठूंसा!

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Rahul Gandhi On Election Commission: विदेश में राहुल के बयान से कैसे मचा सियासी घमासान?
Topics mentioned in this article