"आपको अंजाम भुगतना होगा...", दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया से बोला सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘यदि आप सार्वजनिक बहस को इस स्तर तक गिरा देंगे, तो आपको अंजाम भुगतने होंगे.’’ कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को पहले ही बेशर्त माफी मांग लेनी चाहिए थी.’’

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सिसोदिया ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा कि ‘‘यदि आप सार्वजनिक बहस को इस स्तर तक गिरा देंगे, तो आपको अंजाम भुगतने होंगे.'' सिसोदिया ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी,जिसमें असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा द्वारा उनके खिलाफ दायर किये गये एक आपराधिक मानहानि मामले को रद्द करने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. मानहानि का मामला, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री द्वारा शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जाने को लेकर दायर किया गया था.

हाईकोर्ट के चार नवंबर के आदेश के खिलाफ सिसोदिया की याचिका स्वीकार करने के प्रति शीर्ष न्यायालय के अनिच्छा प्रकट करने पर आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ने इसे वापस ले लिया. शर्मा ने कोविड-19 महामारी की प्रथम लहर के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) प्राधिकारों को ‘बाजार दर से अधिक पर' पीपीई किट की आपूर्ति करने के सिलसिले में अपने (शर्मा के) खिलाफ भ्रष्टाचार के बेबुनियाद आरोप लगाने को लेकर शर्मा ने आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था. आप नेता ने दावा किया था कि शर्मा ने 2020 में राज्य का स्वास्थ्य मंत्री रहने के दौरान अपनी पत्नी की कंपनी को आपूर्ति के आर्डर दिये थे. हालांकि, शर्मा ने इन आरोपों से इनकार किया था.

यह विषय सोमवार को न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया. सिसोदिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आप नेता ने यह नहीं कहा था कि कोई पैसा लिया गया है. पीठ ने कहा, ‘‘यदि आप सार्वजनिक बहस को इस स्तर तक गिरा देंगे, तो आपको अंजाम भुगतने होंगे.'' न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता को पहले ही बेशर्त माफी मांग लेनी चाहिए थी.''सिंघवी ने कहा कि कोई व्यक्ति दूसरों को धौंस नहीं दिखा सकता और याचिकाकर्ता ने कभी नहीं कहा था कि कोई धन लिया गया है.

शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘‘आपको अंजाम भुगतने होंगे.'' पीठ ने कहा कि आरोप महामारी के दौरान लगाये गये थे. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि महामारी के दौरान देश किस स्थिति से गुजर रहा था, इसे महसूस करने के बजाय याचिकाकर्ता आरोप लगा रहे थे. बाद में, सिंघवी ने याचिका वापस ले ली. असम सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता नलिन कोहली ने सुनवाई के बाद कहा, ‘‘अनिवार्य रूप से, समन जारी करने के दौरान एक अदालत को यह विचार करना होगा कि झूठे आरोपों के सिलसिले में क्या मानहानि का प्रथम दृष्टया मामला बनता है.''

हाईकोर्ट ने शर्मा द्वारा दायर की गई शिकायत का संज्ञान लिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इस साल चार जून को सिसोदिया ने नयी दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में असम के मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ एक मानहानिकारक बयान दिया. अदालत ने सिसोदिया के बारे में शर्मा की इस शिकायत का संज्ञान लिया, जिसमें उन पर (शर्मा पर) पीपीई किट खरीदने के लिए अपनी पत्नी को सरकारी ठेका देने में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया गया था. यह आरोप लगाया गया था कि इस तरह की पीपीई किट अन्य से प्रति इकाई 600 रुपये में खरीदी गई, जबकि यही चीज शर्मा की पत्नी के मालिकाना हक वाली कंपनी से 900 रुपये प्रति किट के दर से खरीदी गई.

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