हितधारकों ने आयुष बीमा कवरेज को व्यापक बनाने के तरीकों पर चर्चा की

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, इसका उद्देश्य सभी के लिए आयुष उपचारों तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना है.

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नई दिल्ली:

निम्न पायदान पर खड़े  रोगी को आयुष उपचार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित संवेदीकरण कार्यक्रम में स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में आयुष उपचारों को मुख्यधारा में लाने के लिए आवश्यक नियामक ढांचे और नीति समर्थन पर चर्चा करने के लिए  हितधारक एकत्र हुए. 

हाल ही में बीमा नियामक विकास प्राधिकरण (IRDAI) के निर्देशों के कारण 01 अप्रैल, 2024 से प्रभावी स्वास्थ्य बीमा कवर के तहत आयुष उपचार लाने और आयुष अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और बीमा क्षेत्र के हितधारकों के बीच एक गहरी समझ बनाने और नागरिकों को सस्ती आयुष स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देने की आवश्यकताके मददेनज़र बैठक का आयोजन किया गया.

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, इसका उद्देश्य सभी के लिए आयुष उपचारों तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना है. भारत में अपनी तरह के पहले एकीकरण को चिह्नित करते हुए, डीजीएचएस और आयुष (एसटीजी) द्वारा मानक उपचार दिशानिर्देशों के संयुक्त प्रकाशन के साथ एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया गया था. इसका उद्देश्य सभी के लिए आयुष उपचार तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना है. पिछले दशक में आयुष उत्पादों के निर्माण में आठ गुना वृद्धि हुई है. 

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अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के निदेशक प्रो. तनुजा नेसारी ने कहा, हम आयुष उपचारों को मुख्यधारा की स्वास्थ्य प्रणाली में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहे हैं. बीमा कंपनियों के साथ हमारा सहयोग टीपीए नेटवर्क के माध्यम से आयुष सेवाओं तक कैशलेस पहुंच को सक्षम करने पर केंद्रित है. आज की बैठक इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हमें आयुष उपचारों को सभी के लिए सुलभ और सस्ती बनाने के हमारे उद्देशय को साकार करने के करीब लाता है.

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आयुष अस्पतालों के लिए एक अलग रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता पर बोलते हुए प्रो. बेजोन कुमार मिश्रा, आयुष मंत्रालय के बीमा क्षेत्र के लिए विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष ने कहा, “एक प्रमुख सिफारिश यह है कि आयुष एचसीओ को प्रोत्साहित किया जाए और आयुष द्वारा अनुमोदित मानक उपचार दिशानिर्देश (एसटीजी), आईसीडी-टीएम2 कोड को अपनाया जाए और प्रमुख समितियों में आयुष प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाए.”

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अपोलो आयुर्वेद हॉस्पिटल्स के एमडी और सीईओ राजीव वासुदेवन ने आयुष अस्पतालों के दृष्टिकोण से आयुष के बीमा क्षेत्र में प्रवेश के बारे में बात करते हुए कहा, “वर्तमान बीमा सेवाएं मुख्य रूप से सर्जिकल और आपातकालीन सेवाओं पर केंद्रित हैं, लेकिन दो-तिहाई क्षेत्र दीर्घकालिक बीमारियों से निपटने वाले लोगों का है और प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता है. सवाल यह है कि दीर्घकालिक समस्याओं, आवर्ती समस्याओं, ऑटोइम्यून बीमारियों, न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों वाले मरीज क्या करें? अब समय आ गया है कि लक्षणों से राहत पाने के बजाय बीमारी के मूल कारण की पहचान और उपचार किया जाए. आयुष उपचार उपशामक देखभाल और जीवन की अंतिम देखभाल में भी अत्यधिक प्रभावी होंगे.”

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उन्होंने ये भी कहा हम उम्मीद करते हैं कि जनरल  इंश्योरेंस काउंसिल अपने 39 सामान्य बीमा, स्टैंडअलोन स्वास्थ्य बीमा, पुनर्बीमा और विशेष बीमा कंपनियों की ओर से व्हाइट पेपर प्रकाशित करने में एक अभिन्न घटक के रूप में नेतृत्व प्रदान करेगी. कई हितधारकों को देखने वाला कार्यक्रम बीमा क्षेत्र और आयुष अस्पतालों दोनों से अपने दृष्टिकोण देता है, जिसमें आयुष क्षेत्र में बीमा कवरेज, मानक उपचार दिशानिर्देश और बीमा क्षेत्र में आयुष की पैठ और रोहिणी प्लेटफॉर्म पर आयुष अस्पतालों की ऑनबोर्डिंग और बीमा कवरेज के लिए पैनल सहित कई मुद्दों को शामिल किया गया है. 

आयुष मंत्रालय के सलाहकार डॉ. कौस्तुभ उपाध्याय ने कहा, “आयुष मंत्रालय ने अक्टूबर 2023 में आयुष क्षेत्र में बीमा से संबंधित मामलों पर सलाह देने और निगरानी करने के उद्देश्य से और स्वास्थ्य बीमा के तहत आयुष प्रणालियों की वर्तमान स्थिति का अध्ययन करने और एक श्वेत पत्र बनाने के लिए बीमा क्षेत्र के लिए विशेषज्ञों के एक कोर समूह का गठन किया है.”

उन्होंने कहा, “आयुष मंत्रालय और एनएचए आयुष्मान भारत-प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) में आयुष हस्तक्षेपों को शामिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं.”

डॉ. ए. रघु, उप महानिदेशक (आयुष), आयुष वर्टिकल ने स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक में कहा, "कि आयुष उपचार के लिए लंबे समय तक रहने की आवश्यकता होती है एक निश्चित दर मूल्य  की आवश्यकता है  और इसे रोग बल  (बीमारी की ताकत) और रोगी बल के आधार पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए. उन्होंने प्रत्येक बीमारी के लिए चिकित्सा प्रबंधन (मिल/मॉडरेट/सेवर) के 3 स्तरों पर भी जोर दिया, जहां उपचार की अवधि विशेषज्ञों द्वारा व्यवस्थित रूप से प्राप्त की जानी चाहिए." 

कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं में प्रो. (डॉ.) आनंदरमन पी. वी., श्री मुकुंद कुलकर्णी हेड हेल्थ, डॉ. अलका कपूर, डीएमएस, एआईआईए, श्री योगानंद ताडेपल्ली, सीटीओ, आईआईबीआई और श्री सेगर संपत्कुमार, जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआईसी), अमित जैन, मुख्य संचालन अधिकारी, आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, श्री राम नतेसन, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, नेटवर्क और प्रदाता प्रबंधन, स्टार हेल्थ इंश्योरेंस, डॉ. सुनील गाला, हेड ऑफ क्लेम्स मैग्मा, एचडीएल, रोहित गुप्ता, हेड ऑफ ग्रुप हेल्थ बिजनेस, एसबीआई जनरल इंश्योरेंस शामिल थे.

यह कार्यक्रम पारंपरिक चिकित्सा को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा में एकीकृत करने, आयुष उपचारों के लिए व्यापक बीमा कवरेज सुनिश्चित करने और समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

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