सुप्रीम कोर्ट से सेंट स्टीफेंस कॉलेज को राहत नहीं, इस साल CUET के तहत ही दाखिले होंगे

सेंट स्टीफंस कॉलेज ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें कहा गया है कि अंडर ग्रेजुएट एडमिशन में CUET यानी कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट का पालन करना होगा.

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सेंट स्टीफंस कॉलेज बनाम दिल्ली विश्वविद्यालय दाखिला प्रक्रिया मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है.

सुप्रीम कोर्ट से सेंट स्टीफेंस कॉलेज को राहत नहीं मिली. इस साल CUET के तहत ही दाखिले होंगे. दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें इस स्तर पर हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने का कारण नहीं दिखता. मार्च में अगली सुनवाई होगी. सेंट स्टीफेंस कॉलेज की याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के 12 सितंबर के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने स्नातक पाठ्यक्रमों में आवेदन करने वाले गैर-अल्पसंख्यक अभ्यर्थियों के लिए सीयूईटी-2022 के अंकों को शत प्रतिशत वेटेज देते हुए कॉलेज को नया प्रोस्पेक्टस जारी करने को कहा था. सेंट स्टीफंस कॉलेज द्वारा जारी प्रोस्पेक्टस के अनुसार गैर अल्पसंख्यक (non-minority) को दाखिला सीयूईटी यूजी स्कोर 85 प्रतिशत और साक्षात्कार 15 प्रतिशत वेटेज के आधार पर दिया जाएगा.

दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध सेंट स्टीफंस कॉलेज की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की. सेंट स्टीफंस कॉलेज ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें कहा गया है कि अंडर ग्रेजुएट एडमिशन में CUET यानी कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट का पालन करना होगा. सेंट स्टीफन कॉलेज ने CUET परीक्षाओं के रिजल्ट को 85 प्रतिशत और इंटरव्यू को 15 प्रतिशत वेटेज देने का निर्णय लिया था. सेंट स्टीफन कॉलेज के इस निर्णय को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. 

सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई कर रहा है कि क्या इस साल के लिए सेंट स्टीफंस को दाखिलों में अंतरिम राहत दी जाए? पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुण-दोष के आधार पर मामले पर विचार करने की आवश्यकता है. हो सकता है कि कॉलेज 40 साल से पॉलिसी का पालन कर रहा हो, लेकिन इस मुद्दे पर कोर्ट का एक फैसला है. जहां तक ​​मुद्दे के गुण-दोष का सवाल है, यह विचार करने योग्य है.

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जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि आज जहां भी विवेक है, हम वहां हैं. हम आपसे सहमत हैं लेकिन आज जब हम अपने आस-पास देखते हैं, तो हम आपसे मानवीय विवेक के तत्व को कम से कम करने का अनुरोध करते हैं ताकि प्रतिभाशाली लोगों को नुकसान न हो. हमें पुराना समय याद है, जब हम छात्र थे. जब हम छात्र थे तो साक्षात्कार होता था लेकिन निष्पक्षता रहती थी. इस बारे में दो राय का सवाल ही नहीं है. 

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कॉलेज की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा था कि हम 40 साल से इस नीति का पालन कर रहे हैं. यह कॉलेज में दाखिले का मामला है. हम किसी को ही नहीं दाखिला नहीं देते. हम योग्यता से दाखिला देते हैं. वहीं DU की ओर से कहा गया था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई नहीं करेगा, तब तक कोई कार्रवाई नहीं करेंगे. 

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