अनमोल बिश्नोई को अमेरिका की जिस जेल में रखा गया बंद, पढ़ें उससे जुड़ी डरावनी और दिलचस्प कहानियां

यह अनोखी जेल 1885 में एक पुराने चर्च के मुर्दाघर की जगह पर बनाई गई थी, ये दुनिया की चुनिंदा घूमने वाली जेलों में से एक है. इस जेल से क्या दिलचस्प कहानियां और किस्से जुड़े हुए है, यहां जानिए.

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नई दिल्ली:

सलमान के घर पर फायरिंग हो या फिर मूसेवाला मर्डर, इन सबका लिंक लॉरेंस बिश्नोई से हैं. लॉरेंस बिश्नोई जेल के अंदर से बैठे ही अपने पूरे नेटवर्क को ऑपरेट कर रहा है. वहीं उसका भाई अनमोल जो अमेरिका में पकड़ गया है, उसे पोट्टावाटामी काउंटी जेल में रखा गया है. अनमोल भी कई मामले में वॉन्टेड चल रहा है. जब पुलिस अनमोल को तलाश रही थी, तब वो चकमा देकर अमेरिका पहुंच गया, जहां से उसने अपने नेटवर्क को ऑपरेट किया. जैसे-जैसे लॉरेंस गैंग पर  शिकंजा कसा जाने लगा, वैसे वैसे अमेरिका में मौजूद अनमोल ने भी बचने के तरीके तलाशने शुरू कर दिए. जब अनमोल को भारत लाने की कोशिश की जा रही है, तब अनमोल अमेरिका में पकड़ा गया है और तब से उसे पोट्टावाटामी काउंटी जेल में रखा गया है. अनमोल बिश्नोई का अमेरिका में पकड़े जाना एक प्लान का हिस्सा बताया जा रहा है. उसने खुद को भारत सरकार से बचाने के लिए गिरफ्तारी का पैंतरा चला है. सूत्रों के मुताबिक अनमोल ने अपने वकील के जरिए अमेरिका में शरण मांगी है. गिरफ्तारी से पहले ही अनमोल ने अमेरिका में शरण की अर्जी लगा दी थी. ऐसा उसने भारत लाए जाने से बचने के लिए किया है. अनमोल बिश्नोई लंबे समय से इसकी प्लानिंग कर रहा था.

अमेरिका की स्क्विरल केज जेल में बंद अनमोल

अनमोल का अमेरिका की जिस जेल में रखा गया है, उसे स्क्विरल केज भी कहा जाता है. इस जेल से जुड़ी कई कहानियां ऐसी है, जो कि काफी दिलचस्प है. पोटावाटामी जेलहाउस केवल तीन बची हुई रोटरी जेलों में से एक है, जो सभी अपराधियों को घूमने वाली कोठरियों में रखने के लिए जानी जाती है. इस जेल को साल 1885 में बनाया गया. इस जेल को इस तरह बनाया गया कि जेलर और अपराधी के बीच बातचीत कम से कम हो सकें. ये जेल को किसी जमाने में इंसानी कारीगरी की बेहतरीन मिसाल मानी जाती थी. यही वजह है कि इसे 19वीं सदी का चमत्कार भी माना जाता था. इस जेल के अनोखे डिजाइन के पीछे का मकसद ये था कि जेल कि सभी कोठरियां एक गोल चक्कर पर स्थित थीं जो हाथ की क्रैंक के घुमाव पर घूमती थीं, ताकि एक बार में केवल एक कैदी के होल्डिंग क्षेत्र तक ही पहुंचा जा सके. जबकि इस समय के आसपास बनी अधिकांश रोटरी जेलों में केवल एक लेवल की कोठरियां थीं, काउंसिल ब्लफ़्स की जेल को होल्डिंग कोठरियों के तीन स्टैक्ड स्तरों के साथ बनाया गया था. लंबी कोठरियों की संरचना ने जेल को किसी पिंजरे जैसा बना दिया, जिसमें कोई छोटा जानवर रखा जा सकता है, इसलिए इसका नाम स्क्विरल केज यानि गिलहरी का पिंजरा पड़ गया. 

1969 में जेल का इस्तेमाल बंद कर दिया गया था, और तब से इसे पोटावाटामी काउंटी (HSPS) की ऐतिहासिक और संरक्षण सोसायटी द्वारा संरक्षित और संग्रहालय के रूप में खोला गया है.

क्यों अनोखी अमेरिका की स्क्विरल केज जेल

इस चमत्कारिक जेल को जल्द ही इसके डिजाइन में समस्याओं का सामना करना पड़ा. गिलहरी पिंजरे जैसी जेल को इसके खुलने के कुछ साल बाद ही विफल माना गया, क्योंकि इसमें समय बहुत भयानक शोर होता था. यहां की मशीनों के गियर जाम हो जाते थे, जिससे कैदियों के भूखे मरने का खतरा रहता था. इसके घूमने वाले डिजाइन की वजह से, कैदी को अलग रखने की कोई ज़रूरत नहीं थी. इसलिए, छोटे-मोटे धोखेबाजों को बलात्कारियों के बगल में कैद किया जाता था. जेल के घूमने पर कैदी अक्सर अपने हाथ और पैर सलाखों से बाहर निकाल लेते थे, जिससे भयानक चोटें और चोटें लगती थीं. साल 1960 के दशक में घुमती हुई इस जेल में इस हद तक खराबी आ गई कि एक मृत कैदी के शरीर तक पहुंचने में दो दिन लग गए थे, जिसकी मृत्यु उसकी कोठरी में हुई थी.

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स्क्विरल केज को क्यों कहा जाता है भूतिया जेल

इस जगह को भूतियां भी माना जाता है. स्क्विरल केज जेल में कई खूंखार अपराधियों का रखा जा चुका है. जिसमें हत्यारा जेक बर्ड था, जिसने कुल्हाड़ी से काटकार 46 लोगों की हत्या की थी और मिशिगन, आयोवा और यूटा में 31 साल जेल में बिताए थे. अपने मुकदमे में, हत्यारे ने उन लोगों पर "जेक बर्ड हेक्स" लगाया, जिन्हें उसने उसे सज़ा देने में शामिल देखा था. उसने कहा कि वे उससे पहले मर जाएंगे. जैसा कि कहानी में बताया गया है, कथित तौर पर छह लोगों की मौत हुई, जिनमें जज भी शामिल थे, जिनकी एक महीने के भीतर मौत हो गई. बर्ड को 1949 में फांसी दी गई थी. तभी से यहां जेक बर्ड के भूत की खबरे सुनने को मिलती रही. पैरानॉर्मल जांचकर्ताओं नेस्क्विरल केज जेल का दौरा करने के बाद कहा था कि उन्होंने डरावनी आवाज़ें सुनी हैं और अजीबोगरीब चीजें देखी है.

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लोगों ने सुनी अजीब आवाजें, देखी काली परछाइयां

1900 के दशक की शुरुआत में यहां आने वाले लोगों को लगने लगा कि कुछ तो गड़बड़ है. 50 के दशक में एक जेलर ने जेल की चौथी मंजिल के अपार्टमेंट में रहने से इनकार कर दिया था, क्योंकि जब कोई आसपास नहीं था, तो उसने फर्श पर किसी के कदमों की आवाज़ सुनी थी. इसलिए जेलर ने जेल की दूसरी मंजिल पर सोना चुना. आज के संग्रहालय के कर्मचारियों और वॉलिंटियर्स भी ने पुरानी जेल से जुड़े ऐसी ही डरावनी कहानियां साझा की. HSPS संग्रहालय प्रबंधक कैट स्लॉटर ने कहा कि जेल के कई कर्मचारियों और वॉलिंटियर्स ने चहलकदमी, फुसफुसाहटों और दरवाज़ों की अजीब आवाज़ सुनी है. वहीं कुछ ने सीढ़ियों या दरवाज़ों के पीछे से काली परछाइयों को चलते हुए देखने का दावा किया है.

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