मोदी कैबिनेट में फेरबदल की अटकलें तेज, चिराग पासवान और शिंदे गुट को मिल सकती है जगह

आगामी चुनावों की रणनीति के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जहां अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की तैयारियों में जुटी है, वहीं इसी महीने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल की संभावनाओं को भी बल मिल रहा है.

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प्रधानमंत्री ने अपने दूसरे कार्यकाल में जुलाई 2021 में केवल एक बार अपनी मंत्रिपरिषद में फेरबदल किया है
नई दिल्ली:

आगामी चुनावों की रणनीति के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जहां अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की तैयारियों में जुटी है, वहीं इसी महीने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल की संभावनाओं को भी बल मिल रहा है. मंत्रियों के प्रदर्शन और सत्तारूढ़ पार्टी की राजनीतिक अनिवार्यताओं के कारण यह बदलाव होने की संभावना है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में जुलाई 2021 में केवल एक बार अपनी मंत्रिपरिषद में फेरबदल किया है, जबकि अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने तीन बार अपनी मंत्रिपरिषद में फेरबदल और विस्तार किया था.

हालांकि इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि यह फेरबदल 31 जनवरी को संसद का बजट सत्र शुरू होने से पहले किसी भी दिन हो सकता है. भाजपा कार्यकारिणी की बैठक 16-17 जनवरी को दिल्ली में होनी है. ऐसी राय है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी की शानदार जीत और हिमाचल प्रदेश विधानसभा एवं दिल्ली नगर निगम चुनावों में हार से मिले सबक का असर इस फेरबदल में दिख सकता है. साथ ही कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे चुनावी राज्यों में राजनीतिक जरूरतों के अनुसार भी इस मंत्रिपरिषद में फेरबदल हो सकता है.

यह फेरबदल संभवत: आखिरी बार होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव में अब केवल 15 महीने का समय बचा है. ऐसे में बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में उभरते राजनीतिक समीकरण भी फेरबदल में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं. इसी तरह, ऐसी चर्चा है कि पार्टी के संगठन में भी बदलाव लाया जा सकता है. मोदी की मंत्रिपरिषद में बदलाव हमेशा चौंकाने वाले रहे हैं, क्योंकि कभी-कभी ऐसे मंत्रियों को हटाया गया और ऐसे लोगों को मंत्री बनाया गया, जिसके बारे में किसी ने दूर-दूर तक सोचा भी नहीं था. मौजूदा मंत्रियों के विभागों में बदलाव के लिए भी मोदी के मंत्रिमंडल में फेरबदल सुर्खियों में रहे हैं.

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पिछली बार प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था, जबकि पूर्व आईएएस अधिकारी अश्विनी वैष्णव को शामिल किया गया था और उन्हें रेलवे एवं सूचना प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए गए थे. पिछले फेरबदल के बाद मुख्तार अब्बास नकवी को मंत्री पद गंवाना पड़ा था. सहयोगी दलों जनता दल (यूनाइटेड) और शिवसेना कोटे से मंत्री रहे नेताओं के इस्तीफे से भी पद खाली हुए हैं. दोनों दल इस समय विपक्षी खेमे में हैं.

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फेरबदल में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को प्रतिनिधित्व मिलने की संभावना है, जिसे शिवसेना के अधिकांश सांसदों का समर्थन प्राप्त है. एक राय यह भी है कि भाजपा चिराग पासवान को पुरस्कृत कर सकती है, जिन्हें उनके पिता और बिहार के दिग्गज दलित नेता रामविलास पासवान के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है. वर्तमान में, उनके चाचा पशुपति कुमार पारस केंद्रीय मंत्री हैं, जिन्होंने मूल पार्टी के छह सांसदों में से पांच के समर्थन से एक अलग गुट बनाया है.

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