NEET परीक्षा देने वाले दिव्यांग छात्रों को मिले खास सुविधाएं: याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट

छात्रा ने आरोप लगाया कि उसे NEET की परीक्षा पूरी करने के लिए एक घंटे का अतिरिक्त समय नहीं दिया गया और पेपर छीन लिया गया. यह मामला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ के समक्ष आया है.

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NEET के वकील ने कहा कि इस समय हमारे लिए यह मुश्किल होगा क्योंकि वहां 16 लाख छात्र थे.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को NEET परीक्षा मामले में सुनवाई करते हुए परीक्षा के लिए उपस्थित होने वाले दिव्यांग छात्रों के लिए विशिष्ट (खास) सुविधाओं की आवश्यकता पर जोर दिया है. कोर्ट ने कहा कि परीक्षा के पर्यवेक्षकों को दिव्यांग छात्रों से निपटने के लिए उचित रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. एक दिव्यांग छात्रा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणियां की हैं, जिसने पुन: परीक्षा/अनुग्रह अंक देने की मांग की है. दरअसल, छात्रा को डिस्ग्राफिया (एक सीखने की अक्षमता जो लिखने की क्षमता में कमी की ओर ले जाती है) है. छात्रा ने आरोप लगाया कि उसे नीट की परीक्षा पूरी करने के लिए एक घंटे का अतिरिक्त समय नहीं दिया गया और पेपर छीन लिया गया. यह मामला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ के समक्ष आया है.

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मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने केंद्र से कहा NEET के लिए ब्रोशर में दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए विशिष्ट सुविधा होनी चाहिए और पर्यवेक्षकों के लिए उचित प्रशिक्षण की भी आवश्यकता है. आपको नीति के मामले के रूप में फैसला करना होगा और सोचना चाहिए कि इसे सही करने के लिए क्या करना चाहिए. आज चिकित्सा क्षेत्र इतना प्रतिस्पर्धी है. पीठ ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से इस पर विचार करने और जवाब देने के लिए कहा कि क्या दिव्यांग कोटे के तहत खाली सीटों के बीच छात्रा को समायोजित किया जा सकता है.

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के वकील रूपेश कुमार ने कहा कि इस समय हमारे लिए यह मुश्किल होगा क्योंकि वहां 16 लाख छात्र थे. इस स्तर पर वह कुछ अन्य छात्रों का स्थान ले सकती है और यह दूसरों के लिए कठोर होगा. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी के लिए 16 लाख छात्र हैं, लेकिन मेरे लिए यह केवल एक परीक्षा है. कलम के एक झटके से मेरा करियर बदल सकता है. 

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इस पर पीठ ने कहा कि ईश्वर आपके मुवक्किल को आशीर्वाद दें और आपको प्रवेश मिल जाए, लेकिन हमें उम्मीद है कि भविष्य में ये गलतियां दोहराई नहीं जाएंगी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से शुक्रवार तक लिखित जवाब मांगा है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट आदेश जारी करेगा.

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