27 महीनों बाद जेल से रिहा हुए सपा नेता आजम खां, अखिलेश यादव बोले- 'झूठ के लम्हे होते हैं, सदियां नहीं'

उत्तर प्रदेश में 2017 से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद आज़म खां पर शिकंजा कसा गया था. 2019 में रामपुर से लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद उनके खिलाफ 87 मामले दर्ज किए गए थे.

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आजम खां को शीर्ष अदालत ने 88वें मामले में गुरुवार को अंतरिम जमानत दी थी. 

लखनऊ:

उच्चतम न्यायालय ने कथित धोखाधड़ी के एक मामले में जेल में कैद समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खां को बृहस्पतिवार को अंतरिम जमानत दी थी. जिसके बाद आज सपा नेता आज़म खां सीतापुर जेल से रिहा हो गए हैं. आज़म खां को लेने उनके पुत्र अब्दुल्ला आज़म और शिवपाल यादव सीतापुर जेल पहुंचे थे. आज़म खां साल 2020 से जेल में बंद थे. यूपी पुलिस ने पिछले कुछ सालों में उनके खिलाफ 88 मामले दर्ज किए थे. खां को शीर्ष अदालत ने 88वें मामले में गुरुवार को अंतरिम जमानत दी थी. वहीं आजम खां के रिहा होने सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट किया ओर लिखा कि सपा के वरिष्ठ नेता व विधायक मा. श्री आज़म ख़ान जी के जमानत पर रिहा होने पर उनका हार्दिक स्वागत है. जमानत के इस फ़ैसले से सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय को नये मानक दिये हैं. पूरा ऐतबार है कि वो अन्य सभी झूठे मामलों-मुक़दमों में बाइज़्ज़त बरी होंगे. झूठ के लम्हे होते हैं, सदियाँ नहीं!

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उत्तर प्रदेश में 2017 से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद आज़म खां पर शिकंजा कसा गया था. 2019 में रामपुर से लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद उनके खिलाफ 87 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद फरवरी 2020 में सीतापुर जेल भेजा गया. लम्बी कानूनी लड़ाई से आजम खां को 86  मामलों में तो जमानत मिल गई, लेकिन शत्रु संपत्ति से जुड़े एक मामले में कोर्ट का फैसला आना बाकी रह गया. बीते वर्ष चार दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके चार महीने बीत जाने पर आजम खां ने अंतरिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. आजम ने आरोप लगाया था कि राजनीतिक बदले के कारण यूपी सरकार जानबूझकर देरी करा रही है.

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बता दें कि साल 2022 का राज्य चुनाव आजम खां ने जेल से ही लड़ा था और रामपुरी सीट में फिर से विजय हासिल की थी.

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