समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता और रामपुर विधायक मोहम्मद आजम खान को मंगलवार को यहां एमपी-एमएलए कोर्ट (MP-MLA Court) के न्यायाधीश आलोक दुबे से नियमित जमानत मिल गई. उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार एमपी-एमएलए कोर्ट में नियमित जमानत याचिका दायर की गई थी, जिसने मंगलवार को दोनों पक्षों (अभियोजन और बचाव पक्ष) की दलीलें सुनने के बाद आजम खान को नियमित जमानत दे दी.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आजम खान पर अधिकारियों से रामपुर पब्लिक स्कूल की एक शाखा का संबद्धता प्रमाण पत्र धोखाधड़ी से प्राप्त करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था. आजम खान मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं जो रामपुर पब्लिक स्कूल की तीन शाखाएं चलाता है.
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जिला शासकीय अधिवक्ता अरुण प्रकाश सक्सेना ने कहा, 'दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने मामले में खान को नियमित जमानत दे दी.' मंगलवार को अरुण प्रकाश ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अदालत में पैरवी की थी और खान की जमानत अर्जी का पुरजोर विरोध किया था.
उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता जुबैर अहमद खान जो आजम खान के बचाव पक्ष के वकील के रूप में पेश हुए, उन्होंने कहा, 'अभियोजन माननीय अदालत के सामने यह साबित करने में विफल रहा कि आजम खान ने बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के कार्यालय से रामपुर पब्लिक स्कूल की यतीमखाना शाखा चलाने के लिए धोखाधड़ी से संबद्धता प्रमाण पत्र प्राप्त किया था.'
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उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद आजम खान नियमित जमानत के लिए मंगलवार को अदालत में पेश हुए. जालसाजी के कथित अपराध में उच्चतम न्यायालय द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद 27 महीने बाद मई में खान को सीतापुर जेल से रिहा किया गया था.
उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता (आजम खान) को आदेश की तारीख से दो सप्ताह की अवधि के भीतर सक्षम अदालत के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन दायर करने का भी निर्देश दिया था. अभियोजन पक्ष के अनुसार, अदालत ने खान को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी), 467 (दस्तावेजों की हेराफेरी), 468 और 471 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के आरोपों के तहत नियमित जमानत दी.
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