केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल ने समलैंगिक विवाह मामले में SC के फैसले पर क्या कहा?

समलैंगिक शादी को मान्यता देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर कोई ट्रांसजेंडर व्यक्ति किसी विषमलैंगिक व्यक्ति से शादी करना चाहता है, तो ऐसी शादी को मान्यता दी जाएगी, क्योंकि एक पुरुष होगा और दूसरा महिला होगी.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
नई दिल्ली:

समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriages) को मान्यता देने के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की 5 जजों की संविधान पीठ ने एकमत से एक ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाया.  अदालत ने समलैंगिक शादी को भारत में मान्यता नहीं दी. इस मुद्दे पर सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एनडीटीवी ने तुषार मेहता से बात की. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मैं फैसले का तहे दिल से स्वागत करता हूं. मुझे खुशी है कि मेरा पक्ष स्वीकार कर लिया गया. 

"बहुत कम अदालतों में इस स्तर की बहस होती है"

 तुषार मेहता ने कहा कि सभी चार निर्णयों ने हमारे देश के न्यायशास्त्र और निर्णय लिखने में लगने वाले बौद्धिक अभ्यास को अगले स्तर पर पहुंचा दिया है.  दुनिया में बहुत कम अदालतें हैं जहां कोई इस स्तर की बौद्धिक और विद्वतापूर्ण न्यायिक कवायद की उम्मीद कर सकता है.यह निर्णय सभी न्यायक्षेत्रों में पढ़ा जाएगा.

आज का फैसला व्यक्तियों के हितों को सभ्य समाज के हितों के साथ संतुलित करता है. यह शक्तियों के पृथक्करण के प्रश्न पर न्यायिक विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है और संसद, कार्यपालिका और न्यायपालिका के कामकाज में विशद और स्पष्ट अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जो संविधान के अनुसार सख्ती से एक-दूसरे की सराहना करते हुए कार्य करते हैं.

न्यायालय ने समलैंगिकों को भी दिया राहत

न्यायालय ने हालांकि, समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकारों और उनकी सुरक्षा को मान्यता दी और आम जनता को इस संबंध में संवेदनशील होने का आह्वान किया ताकि उन्हें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़े.समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने का अनुरोध करने संबंधी 21 याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई की.

"समलैंगिकता शहरी अभिजात्य अवधारणा अवधारणा नहीं"

न्यायालय ने चार अलग-अलग फैसले सुनाते हुए सर्वसम्मति से कहा कि समलैंगिक जोड़े संविधान के तहत मौलिक अधिकार के रूप में इसका दावा नहीं कर सकते हैं. पीठ ने केंद्र के इस रुख की आलोचना की कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिका शहरी अभिजात्य अवधारणा को प्रदर्शित करती है. पीठ ने कहा कि यह सोचना कि समलैंगिकता केवल शहरी इलाकों में मौजूद है, उन्हें मिटाने जैसा होगा तथा किसी भी जाति या वर्ग का व्यक्ति समलैंगिक हो सकता है.

ये भी पढ़ें- 

Featured Video Of The Day
Delhi Water Crisis: Yamuna में Amonia की मात्रा बढ़ी, कई इलाक़ों में पानी की परेशानी
Topics mentioned in this article