मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) में जस्टिस विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति पर उठ रहे सवालों पर केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू (Kiren Rijiju)ने राज्यसभा में जवाब दिया है. राज्यसभा में उन्होंने कहा, 'मतों में मतभेद लोकतंत्र का हिस्सा है. इसका समाधान निकालने के तरीके हैं. जजों की नियुक्ति के मुद्दे पर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच मतभेद हैं. हालांकि, हाईकोर्ट की जज के रूप में विक्टोरिया गौरी (Victoria Gowri) की नियुक्ति पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए. उन्हें एक प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्त किया गया है.
दरअसल, टीएमसी सदस्य जवाहर सरकार ने राज्यसभा में विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति को लेकर सवाल पूछा था. उन्होंने कानून मंत्री से पूछा था कि क्या गौरी की नियुक्ति सही थी? वह भी तब जब उन पर सार्वजनिक रूप से जातिवादी टिप्पणी करने, अल्पसंख्यकों के खिलाफ टिप्पणी करने का आरोप लगा हो? इसपर सदन में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी जवाब दिया.
गोयल ने कहा, 'मुझे लगता है कि कुछ मर्यादा होनी चाहिए. एक प्रक्रिया के माध्यम से एक माननीय न्यायाधीश की विधिवत नियुक्ति की गई है. मुझे नहीं लगता कि यहां के माननीय सदस्यों के रूप में हमें इस तरह की आक्षेप करना चाहिए. मैं आपकी कृपा की कामना करता हूं.'
सभापति जगदीप धनखड़ ने भी रखी राय
राज्यसभा के पदेन सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी. उन्होंने टीएमसी सांसद जवाहर सरकार के सवाल पर कहा कि राज्य के तीनों अंगों (विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका) को मिलकर काम करना होगा. हमें उनके लिए पारस्परिक सम्मान होना चाहिए.'
धनखड़ ने कहा, 'मैं माननीय सदस्य से आग्रह करूंगा कि वह अपने पूरक को उन प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट तरीके से पूछें कि न्यायिक स्थितियों को नाजुक तरीके से संबोधित किया जाना है.' राज्यसभा के सभापति ने टीएमसी सदस्य से यह भी कहा कि वह एक ऐसे व्यक्ति का जिक्र कर रहे हैं जो सदन का सदस्य नहीं है. धनखड़ ने कहा, 'आप संदर्भ दे रहे हैं जिस पर माननीय राष्ट्रपति ने नियुक्ति का वारंट जारी किया है और सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस पर विचार कर लिया है.'
कानून मंत्री रिजिजू ने सभापति की बात से सहमति जताते हुए कहा, 'आपने बहुत सही टिप्पणी की है कि कुछ संवेदनशील मामले हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना होगा जब हम इस प्रतिष्ठित सदन में बोल रहे हैं.' न्यायाधीशों की नियुक्ति पर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच किसी मतभेद के बारे में सरकार के एक सवाल पर रिजिजू ने कहा कि पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह को नियमों, विनियमों और मर्यादा के बारे में बताए जाने की उम्मीद नहीं है.
जानिए विक्टोरिया गौरी के बारे में
नये अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वालीं न्यायमूर्ति लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी का वकील से जज तक का सफर उनके कानूनी पेशे से 25 साल के शानदार जुड़ाव और सिविल, आपराधिक, कर एवं श्रम से जुड़े विषयों पर गहरी पकड़ से प्रेरित है. कानून की उत्कृष्ट समझ के बूते उन्होंने बेहतरीन अधिवक्ता के रूप में ख्याति अर्जित की. वह मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरई पीठ में असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल भी रहीं.
भारतीय जनता पार्टी भी जुड़ी थीं
निर्भीक आवाज के साथ उनके सार्वजनिक भाषण, जिनमें से कुछ अब भी सोशल मीडिया में उपलब्ध हैं, दर्शाते हैं कि वह मुखर होने के साथ वह विषयों की जानकार भी हैं. विक्टोरिया गौरी इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) (केंद्र में सत्तारूढ़) से जुड़ी थीं. एक तमिल टेलीविजन शो में उन्होंने बीजेपी नीत केंद्र सरकार के समर्थन में शानदार दलील दी. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना समेत अन्य केंद्रीय योजनाओं का उल्लेख किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के लोगों को अपनी ‘सोच' बदलने की जरूरत है. (भाषा इनपुट के साथ)
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