- शिमला के युग हत्याकांड में हाई कोर्ट ने दो दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी और एक को बरी कर दिया है.
- इस फैसले के खिलाफ परिजन सहित लोगों ने आंखों पर काली पट्टी बांधकर रोष रैली निकाली.
- 4 साल के युग को अपहरण कर निर्मम तरीके से पानी के टैंक में फेंक कर हत्या की गई थी..
Shimla Yug Murder Case: शिमला में बहुचर्चित युग हत्याकांड मामले में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सड़कों पर लोगों की भारी भीड़ उतर चुकी है. परिजनों ने आंखों पर कालीपट्टी बांध कर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ रोष रैली निकाली है. हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ नारेबाजी भी की गई. शिमला के बहुचर्चित 4 साल के युग हत्याकांड मामले हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के खिलाफ सड़को पर उतर गए हैं और जजों के खिलाफ ही नारेबाजी कर रहे हैं और न्याय की गुहार लगाई जा रही है.
हाई कोर्ट ने दो दोषियों की फांसी की सजा बदली, एक को रिहा किया
दरअसल मंगलवार 23 सितंबर को युग हत्याकांड मामले में हाई कोर्ट ने तीन दोषियों में से दो की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया और एक को रिहा करने के आदेश दिया. जिस पर परिजनों ने नाराजगी जाहिर की है. इसी के परिजनों ने फैसले के विरोध में सैकड़ों लोगों के साथ आंखों में पट्टी बांधकर शिमला के सीटीओ से शेर ए पंजाब तक रोष रैली निकाली.
4 साल के युग की अपहरण कर हुई थी हत्या
मामले में फैसला सुनाने वाले न्यायाधीशों के खिलाफ नारे लगाए. बताते चले कि शिमला के बहुचर्चित हत्याकांड में आरोपियों ने 4 साल के युग का अपहरण कर यातनाएं देने निर्मम हत्या कर दी थी और पानी के टैंक ने डाल दिया था. हाई कोर्ट के फैसले से नाराज युग के पिता विनोद गुप्ता ने कहा कि युग की हत्या के इतने साल बाद भी उन्हें कोर्ट से न्याय नहीं मिला है.
युग के पिता बोले- साबित हुआ कानून अंधा होता है
युग के पिता विनोद गुप्ता ने कहा कि हाई कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसे साबित होता है कि कानून सच में ही अंधा होता है इसलिए आज आंखों पर पट्टी बांधकर फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया गया है. हत्याकांड में एक दोषी को कोर्ट ने किस आधार पर बरी किया है वह समझ से परे है जबकि हत्याकांड में वह भी दोषी था. युग को न्याय दिलाने के लिए सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी जाएगी.
2014 में 4 साल के युग का अपहरण कर हुई थी हत्या
गौरतलब है कि 14 जून, 2014 को शिमला के राम बाजार से तीन लोगों ने फिरौती के लिए 4 साल के युग का अपहरण किया था. अपहरण के 2 साल बाद अगस्त 2016 में भराड़ी के पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद हुआ. तीनों ने मासूम के शरीर में पत्थर बांध कर उसे जिंदा पानी से भरे टैंक में फेंक दिया था.
105 लोगों की गवाही पर सुनाई गई थी फांसी की सजा
युग के अपहरण व हत्या मामले की जांच करने वाली सीआईडी ने 25 अक्टूबर, 2016 को चार्जशीट अदालत में दायर की. 20 फरवरी 2017 से जिला अदालत में ट्रायल शुरू हुआ. इसमें कुल 135 में से 105 गवाहों के बयान हुए और कोर्ट ने साढ़े 10 माह में ही फांसी की सजा सुना दी थी.
हाई कोर्ट ने फांसी की सजा को पलटा, एक दोषी को बरी किया
उसके बाद आरोपी निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट चले गए. 7 साल बाद हिमाचल हाई कोर्ट ने जिला अदालत के फैसले को पलटकर फांसी के बजाए 2 आरोपी को उम्र कैद और 1 आरोपी को बरी कर दिया. हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अब युग के परिजन व सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर गए और जजों के खिलाफ की नारेबाजी कर रहे हैं.