माहौल खराब करने के लिए... शत्रुघ्न सिन्हा ने 'बाबरी मस्जिद' विवाद को बताया 'राजनीतिक दांव'

टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि बंगाल में ममता बनर्जी की योजनाएं लोकप्रिय हैं और जनता उन्हें पसंद करती है, इसलिए ममता बनर्जी और बंगाल की जनता बीजेपी को करारा जवाब देगी.

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  • शत्रुघ्न सिन्हा ने बाबरी मस्जिद के नाम पर कोलकाता में भीड़ जुटाने की कोशिश को राजनीतिक चाल बताया है.
  • सिन्हा ने कहा कि मंदिर-मस्जिद विवाद की जगह आज के दिन सद्भावना और शांति को प्राथमिकता मिलनी चाहिए.
  • मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की नींव रखी गई, जिसका आयोजन निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने किया.
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नई दिल्ली:

टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने बाबरी मस्जिद के नाम पर कोलकाता में भीड़ जुटाने की कोशिश को राजनीतिक दांव बताया है. उन्होंने कहा कि मंदिर-मस्जिद की बहस की जगह सही मायने में सद्भावना होनी चाहिए, खासकर आज के दिन. सिन्हा ने आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद पर भीड़ जुटाने और विवाद खड़ा करने की यह कोशिश कुछ लोगों की राजनीतिक चाल है, जिसे चुनाव से पहले तनावपूर्ण माहौल बनाने के लिए एक राजनीतिक दल हवा दे रहा है, और यह किसी पार्टी की भागीदारी के बिना नहीं हो सकता.

उन्होंने जोर देकर कहा कि बंगाल में ममता बनर्जी की योजनाएं लोकप्रिय हैं और जनता उन्हें पसंद करती है, इसलिए ममता बनर्जी और बंगाल की जनता बीजेपी को करारा जवाब देगी.

इससे पहले पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में आज बाबरी मस्जिद की नींव का पत्थर रखा गया है. निलंबित तृणमूल कांग्रेस (TMC) विधायक हुमायूं कबीर ने इस समारोह का आयोजन किया है. इस दौरान हजारों की भीड़ मौजूद रही. हुमायूं के समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की.  यह कार्यक्रम 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 33वीं वर्षगांठ के दिन रखा गया है. इस घटना से पूरे राज्य में सांप्रदायिक तनाव जैसी स्थिति है, जिसके चलते प्रशासन ने भारी सुरक्षाबल तैनात किया है. हालांकि, TMC ने कबीर को पार्टी से निलंबित कर दिया है और इस आयोजन से खुद को अलग कर लिया है.

'80 करोड़ रुपये की मदद मिली'

]शिलान्‍यास समारोह में मौजूद जनसमूह को संबोधित करते हुए हुमायूं कबीर ने कहा, 'मालदा, मुर्शिदाबाद और दक्षिण 24 परगना के लोग बाबरी मस्जिद के निर्माण में योगदान देंगे. मेरे पास मस्जिद बनाने के लिए 25 बीघा जमीन है, लेकिन स्थानीय प्रशासन हमें रोक रहा है. हमें सरकारी धन की जरूरत नहीं होगी. मैं उस व्यक्ति का नाम नहीं लूंगा, जिसने हमें मस्जिद बनाने के लिए 80 करोड़ रुपये देने पर सहमति जताई है. मैं सरकार से एक रुपया भी नहीं लूंगा. फिर मस्जिद की पवित्रता अखंड नहीं रहेगी.'
 

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