राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता शरद पवार ने सोमवार कहा कि वह चाहते थे कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे 1972 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले की एक सीट से चुनाव लड़ें लेकिन उनकी उम्मीदवारी तत्कालीन कद्दावर नेता बाबू जगजीवन राम ने खारिज कर दी थी. अपने अभिनंदन कार्यक्रम में पवार ने पुरानी बातें बताते हुए कहा कि उन्होंने ही शिंदे से राजनीति में उतरने को कहा था और उन्होंने उनके कहने पर ही नौकरी छोड़ी थी.
पवार ने कहा, ‘‘ मैं दबाव डाल रहा था कि वह अपनी नौकरी छोड़ दें तथा राजनीति एवं सार्वजनिक जीवन में आ जायें. लेकिन कुछ पारिवारिक बाध्यता के चलते वह थोड़ा हिचक रहे थे. मैंने उनसे कहा कि उनकी विशिष्टिता वंचित वर्गों के लिए काम करने और उनके अधिकारों की सुरक्षा करने की है. आखिरकार उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने का फैसला किया.''
उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव होने ही वाले थे और मैंने वसंतदा (पाटिल) समेत प्रदेश नेतृत्व को शिंदे को आरक्षित करमाला निर्वाचन क्षेत्र से टिकट देने के लिए राजी किया.'' राकांपा प्रमुख ने कहा कि शिंदे के नाम पर प्रदेश स्तर पर आम सहमति बन गयी और उनका नाम कांग्रेस की केंद्रीय समिति के पास भेजा गया.
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पवार ने कहा, ‘‘वसंतदा और मैं विधानसभा चुनाव के वास्ते उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने बैठक में शामिल होने दिल्ली गया. जब करमाला की बारी आयी तब मैंने शिंदे का नाम सामने रखा. (यशवंतराव) चव्हाण एवं अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सकारात्मक रूप से सिर हिलाया लेकिन वरिष्ठ कांग्रेस नेता बाबू जगजीवन राम ने आपत्ति की और कहा कि ‘नहीं चलेगा.' उन्होंने तयप्पा सोनवाने के नाम का प्रस्ताव रखा क्योंकि वह उनके सहयोगी थे.''
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