12 किलो काजू-किशमिश, 30 किलो नमकीन... जल संरक्षण के नाम पर MP में अफसरों का जलपान सम्मेलन

एमपी के शहडोल जिले में जल संरक्षण के एक कार्यक्रम में शामिल हुए 20 अफसरों ने एक घंटे में 12 किलो काजू-किशमिश, 30 किलो नमकीन, 9 किलो फल, 6 लीटर दूध, 5 किलो चीनी चट कर दिए. इसका बिल सामने आने पर नया बवाल मचा है.

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शहडोल के अधिकारियों ने एक घंटे में 12 किलो काजू-किशमिश, 30 किलो नमकीन चट कर दिए.
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  • मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में जल संरक्षण कार्यक्रम के दौरान अधिकारियों ने एक घंटे में 12 किलो ड्राय फ्रूट्स और 30 किलो नमकीन का सेवन किया.
  • इस कार्यक्रम में कुल 24,270 रुपए खर्च हुए, जिसमें बादाम, किशमिश, फल, दूध और चीनी शामिल थे, जबकि कार्यक्रम का उद्देश्य जल संरक्षण था.
  • मामले की जानकारी मिलने पर जिला पंचायत शहडोल के अतिरिक्त सीईओ मुद्रिका सिंह ने कहा कि इस घटना की जांच की जाएगी.
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शहडोल (मध्य प्रदेश):

जल संरक्षण पर सरकारी बैठक हो... और उसमें बादाम, काजू, किशमिश की नदियां बह जाएं तो सवाल उठता है कि ये योजना थी या जलपान यज्ञ? एमपी के शहडोल जिले में जल बचाने की बात करते हुए अफसरों ने सिर्फ एक घंटे में 12 किलो ड्राय फ्रूट्स और 30 किलो नमकीन चट कर दिए. सवाल उठे तो कहा जा रहा है जांच होगी. ये मामला उसी जिले का है जहां 4 लीटर पेंट की पुताई में कुछ दिनों पहले ही 200 से ज्यादा श्रमिक लगे थे.

शहडोल के भदवाही पंचायत में 25 मई को था कार्यक्रम

दरअसल एमपी के शहडोल के भदवाही पंचायत के झूंझा गांव में 25 मई को जल संरक्षण पर एक सरकारी कार्यक्रम का आयोजन था लेकिन अधिकारियों के कथित खानपान ने इसे जलपान संरक्षण का कार्यक्रम बना दिया?

यहां 20 अफसर लगभग एक घंटा गांव में जल संवर्धन के लिए बैठे थे. इन 20 अफसरों की खातिरदारी में 12 किलो ड्राय फ्रूट्स, 30 किलो नमकीन, 9 किलो फल, 6 लीटर दूध, 5 किलो चीनी खर्च हुआ. इन सभी चीजों की खरीदने में कुल लागत आया 24,270 रुपए से ज्यादा.

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कार्यक्रम जल गंगा था, लेकिन यहां अफसरों के राजशी भोग ने माहौल ऐसा बनाया जैसे जलपान महायज्ञ हो रहा हो. माइक पर था "पानी बचाओ", और प्लेट में था "बादाम मिलाओ".

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शहडोल में आयोजित इस कार्यक्रम का बिल सामने आया है. जिसने अफसरों के राजसी भोग की कहानी को सबके सामने ला दिया है. देखें कार्यक्रम के खर्च के बिल.

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देश में कुपोषित बच्चों पर रोज का खर्च 8 रुपए

जिस देश में एक कुपोषित बच्चे पर रोज़ का खर्च है सिर्फ ₹8 — वहां ऐसे राजसी भोज पर सवाल उठने लाजिमी है ... क्योंकि अगर यही ₹24,000 किसी कुपोषित गाँव में लग जाए, तो महीने भर की दाल, अंडा, दूध और थोड़ी इंसानियत भी लौट आए.

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बताते चले कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स के मुताबिक भारत में 3 करोड़ कुपोषित बच्चे हैं. केंद्र के पोषण ट्रैकर एप के मुताबिक मध्यप्रदेश के 45 ज़िले कुपोषण के मामले में रेड ज़ोन में हैं. 97,000 आंगनवाड़ी में 38% बच्चे गंभीर कुपोषण से जूझ रहे हैं. कुपोषण से लड़ने के सरकार प्रतिदिन 8-12 रु. का रोजाना खर्च करती है.

जिम्मेदार अधिकारी बोले- जांच होगी

ऐसे में ये आंकड़े नहीं सवाल हैं, ये सवाल तब खड़े होते हैं जब अफसर की प्लेट में 5 किलो किशमिश तैरती है, और बच्चों की थाली में शर्म, भूख और हवा ही बचती है. और हर सरकारी जवाब में वही राग — “जांच होगी…” मामले की जानकारी सामने आने पर जिला पंचायत शहडोल के एडिशनल CEO मुद्रिका सिंह ने कहा मामले की जांच होगी.

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