कड़ाके की ठंड का पेट्रोल-डीजल पर भी असर! दिसंबर में दर्ज की गई बिक्री में गिरावट

उत्तर भारत में ठंड का सितम शुरू होने से वाहनों में एयर कंडीशनिंग की मांग कम हो गई जिससे ईंधन की खपत भी कम हो गई. मासिक आधार पर पेट्रोल की बिक्री 4.9 प्रतिशत कम हो गई.

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उत्तर भारत में ठंड का सितम शुरू होने से वाहनों में एयर कंडीशनिंग की मांग कम हो गई जिससे ईंधन की खपत भी कम हो गई.
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  • पेट्रोल की बिक्री 4.9 प्रतिशत कम हो गई
  • नवंबर में डीजल की खपत 7.5 प्रतिशत गिर गई
  • 2019 की तुलना में 6.5 प्रतिशत कम
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नई दिल्ली:

भारत में कड़ाके की ठंड पड़ने के साथ ही ईंधन की मांग नरम पड़ी है, जिससे दिसंबर में पेट्रोल और डीजल की बिक्री में गिरावट आई है. सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों के शुरुआती बिक्री आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. पेट्रोलियम बाजार के 90 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण रखने वाली तीन सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों की पेट्रोल बिक्री दिसंबर, 2023 में एक साल पहले की तुलना में 1.4 प्रतिशत घटकर 27.2 लाख टन रह गई, जबकि डीजल की मांग 7.8 प्रतिशत की गिरावट के साथ 67.3 लाख टन पर आ गई.

पेट्रोल की बिक्री 4.9 प्रतिशत कम हो गई
उत्तर भारत में ठंड का सितम शुरू होने से वाहनों में एयर कंडीशनिंग की मांग कम हो गई जिससे ईंधन की खपत भी कम हो गई. मासिक आधार पर पेट्रोल की बिक्री 4.9 प्रतिशत कम हो गई. नवंबर में 28.6 लाख टन की खपत हुई थी. वहीं नवंबर के 67.9 लाख टन की तुलना में डीजल की मांग भी दिसंबर में 0.8 प्रतिशत कम रही.

नवंबर में डीजल की खपत 7.5 प्रतिशत गिर गई
भारत में सबसे अधिक खपत वाला ईंधन डीजल है, जो सभी पेट्रोलियम उत्पादों की खपत का लगभग 40 प्रतिशत है. देश में कुल डीजल बिक्री में परिवहन क्षेत्र की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है. वैसे पिछले कुछ महीनों में ईंधन की घरेलू खपत में गिरावट देखी गई है. हालांकि, अक्टूबर में पेट्रोल और डीजल दोनों की मांग बढ़ी थी लेकिन नवंबर में डीजल की खपत 7.5 प्रतिशत गिर गई थी.

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2019 की तुलना में 6.5 प्रतिशत कम
विमानों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन एटीएफ की बिक्री दिसंबर में सालाना आधार पर 3.8 प्रतिशत बढ़कर 6,44,900 टन हो गई. लेकिन यह महामारी-पूर्व दिसंबर, 2019 की तुलना में 6.5 प्रतिशत कम है. इसकी वजह यह है कि महामारी के बाद सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें दोबारा शुरू नहीं हो पाई हैं.

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दिसंबर में रसोई गैस एलपीजी की बिक्री सालाना आधार पर 27.3 लाख टन पर लगभग स्थिर रही. आंकड़ों से पता चलता है कि मासिक आधार पर नवंबर के दौरान एलपीजी की मांग 25.7 लाख टन एलपीजी खपत के मुकाबले 6.2 प्रतिशत बढ़ी थी.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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