उपहार कांड में अंसल बंधुओं को झटका, हाईकोर्ट ने सात साल कैद की सज़ा को निलंबित करने से किया इंकार

सुशील अंसल और गोपाल अंसल समेत अन्य दोषियों को सात साल कैद की सजा सुनाई गई थी. अंसल भाइयों और अन्य ने सबूतों से छेड़छाड़ मामले में अपनी सात साल की जेल की सजा के निलंबन के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी.  

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उपहार सिनेमा कांड के मामले में सुशील अंसल और गोपाल अंसल को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका
नई दिल्ली:

उपहार सिनेमा कांड के मामले में सुशील अंसल और गोपाल अंसल को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका लगा है. वे 8 नवंबर से ही जेल में हैं और अभी जेल में ही रहेंगे. इस मामले में सबूतों से छेड़छाड़ के लिए उन्हें सात साल की सजा काटनी होगी. हाईकोर्ट ने निचली अदालत की सात साल की सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया है. सुशील अंसल और गोपाल अंसल समेत अन्य आरोपियों की याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. ये सभी उपहार सिनेमा कांड में सबूतों से छेड़छाड़ के दोषी हैं. सुशील अंसल और गोपाल अंसल समेत अन्य दोषियों को सात साल कैद की सजा सुनाई गई थी. अंसल भाइयों और अन्य ने सबूतों से छेड़छाड़ मामले में अपनी सात साल की जेल की सजा के निलंबन के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी.  दिसंबर में निचली अदालत ने मजिस्ट्रेट अदालत की ओर से दोषी साबित होने पर सजा के निलंबन की याचिका को खारिज करते हुए जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया था.  साथ ही अदालत ने दोनों भाइयों पर ढाई-ढाई करोड़ का जुर्माना भी लगाया है. इसके बाद अंसल बंधुओं ने दिल्ली हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने  28 जनवरी को रियल एस्टेट कारोबारी सुशील और गोपाल अंसल की याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने इस मामले में अंसल बंधुओं और एक अन्य दोषी अनूप सिंह करायत के वकीलों के साथ ही दिल्ली पुलिस और उपहार कांड के पीड़ितों के संगठन (AVUT) की दलीलें सुनीं. जेल की सजा को निलंबित करने की मांग करते हुए सुशील अंसल के वकील ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी कि "विकृत" दस्तावेज मुख्य उपहार मुकदमे में उनकी दोष सिद्धि के लिए प्रासंगिक नहीं थे और सबूतों से छेड़छाड़ मामले में उनकी सजा न्याय का उपहास थी. वकील ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सुशील अंसल 80 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं. वहीं गोपाल अंसल के वकील ने भी इसी तरह का तर्क दिया कि उनके मुवक्किल की उम्र 70 वर्ष से अधिक है.

उन्होंने कहा कि अदालत को उन्हें रिहा करने के लिए अपने व्यापक और उदार विवेक का प्रयोग करना चाहिए. इस याचिका का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया, जिसमें तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ताओं ने महत्वपूर्ण दस्तावेजों को विकृत कर दिया, जो मुख्य उपहार सिनेमा मामले में ट्रायल रिकॉर्ड का हिस्सा थे, जिससे अभियोजन पक्ष को मुख्य मामले में द्वितीयक साक्ष्य दर्ज करने के लिए मजबूर होना पड़ा और परिणामस्वरूप ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही में भारी देरी हुई. वहीं, AVUT के वकील ने दलील का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी व्यक्तियों को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती. दक्षिण दिल्ली के ग्रीन पार्क इलाके में स्थित उपहार सिनेमा में 13 जून 1997 को आग लग गई थी, जिस वक्त सिनेमा में आग लगी, उस वक्त इसमें 'बॉर्डर' फिल्म चल रही थी.  इस अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे. इस मामले में सिनेमा के मालिक अंसल बंधुओं के खिलाफ कई केस चल रहे हैं.

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