"SC का फैसला स्वागत योग्य" : 6 महीने में स्टे खत्म नहीं होने के फैसले पर सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी

दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय बॉर एसोशिएशन के सचिव नितिन शर्मा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर मुकदमा किया गया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एशिया रिसर्फेसिंग के फैसले को पलट दिया है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

देशभर के सिविल और क्रिमिनल केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी बड़ी अदालत ने किसी मामले में स्टे दे रखा है, तो छह महीने के भीतर स्टे खत्म नहीं होगा. सर्वोच्च न्यायालय ने अपना 2018 का फैसला ही पलटा है. इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने एनडीटीवी से कहा कि न्यायिक प्रकिया को लेकर ये फैसला काफी अच्छा है.

सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट में फौजदारी के मामलों से संबंधित एशियन रिसर्फेसिंग के नाम से एक मुकदमा हुआ था. जब एफआईआर के खिलाफ कोई हाईकोर्ट में मुकदमा करता है और उच्च न्यायालय ये देखता है कि उसके खिलाफ कोई धारा लागू नहीं होती है तो वो अंतरिम स्टे देता है. जो उसके खिलाफ गिरफ्तार या जांच पर रोक होती है."

राकेश द्विवेदी ने कहा, "ऐसे में कई बार हाईकोर्ट में जज के सामने दोबारा मामला आने में काफी समय लग जाता है. उसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एशियन सर्फेसिंग में ये व्यवस्था दी कि अगर 6 महीने के अंदर हाईकोर्ट उस स्टे ऑडर को कारण देते हुए आगे नहीं बढ़ाता है तो 6 महीने के बाद खुद ही उसका अंत हो जाएगा, वो प्रभावी नहीं रहेगा."

सीनियर एडवोकेट ने कहा, "ऐसे में अगर ऐसे जितने भी स्टे ऑडर थे वो वेकेट हो जाते थे और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती थी. फिर नए तरीके से मामला दायर कराने और जज के सामने आने में काफी वक्त लग जाता था."

दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय बॉर एसोशिएशन के सचिव नितिन शर्मा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर मुकदमा किया गया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एशिया रिसर्फेसिंग के फैसले को पलट दिया है. ऐसे में जब तक कोर्ट अपने अंतरिम आदेश को वेकेट या निरस्त नहीं करती है, वो आदेश लागू रहेगा. इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों के लिए गाइडलाइन भी जारी किए हैं.

सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा है कि कोई बड़ी अदालत किसी छोटी अदालत के लिए ऐसे निर्देश जारी नहीं कर सकता है कि दिए गए समय में ही केस को खत्म कर दिया जाए, क्योंकि उस अदालत में कौन से मुकदमे ज्यादा जरूरी है, वो वहां की अदालत ही तय करती है."

उन्होंने कहा कि ये आदेश काफी महत्वपूर्ण है, हम सभी ये चाह रहे थे. इससे हाईकोर्ट के मुकदमों के संचालन में भी काफी फायदा होगा.

Topics mentioned in this article