उत्तर-पूर्वी राज्यों में औसत से ज्यादा बारिश क्यों? वैज्ञानिक एम. रविचंद्रन ने बताई वजह और उपाय

वैज्ञानिक डॉ. रविचंद्रन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए हमें एक दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी, डिजास्टर मैनेजमेंट एजेंसियों को नए सिरे से तैयार करना होगा.

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नई दिल्ली:

पिछले 10 दिनों में उत्तर-पूर्वी भारत के कई राज्यों में अप्रत्याशित बारिश हुई है और उसकी वजह से काफी ज्यादा तबाही हुई है. क्या इसके पीछे वजह क्लाइमेट चेंज है? साइंटिस्ट और मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेस के सचिव डॉ एम रविचंद्रन ने कहा कि मानसून का बारे में ईयर टू ईयर काफी वेरिएबिलिटी देखी गई है. उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में पिछले 10 दिनों के दौरान जो औसत से काफी ज्यादा मॉनसून की बारिश हुई है, उसका एक महत्वपूर्ण कारण क्लाइमेट चेंज है.

डॉ. एम. रविचंद्रन ने एनडीटीवी से पूर्वोत्तर राज्यों में अत्यधिक तेज बारिश और मानसून पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर बात की. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में मॉनसून जब देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचेगा तो वहां भी इस तरह की अत्यधिक बारिश होने की संभावना है. दर्ज की गई बारिश की चरम तीव्रता स्थानिक और लौकिक दोनों है.

वैज्ञानिक ने कहा कि इस मॉनसून सीजन के दौरान औसत से काफी ज्यादा बारिश के बाद अचानक 10 दिनों के लिए बारिश के रुकने का भी पूर्वानुमान है. क्लाइमेट चेंज की वजह से मानसून की बारिश में बदलाव का खेती, विशेष कर फसलों की क्रॉपिंग पैटर्न पर भी असर पड़ने की संभावना है.

डॉ. रविचंद्रन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए हमें एक दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी, डिजास्टर मैनेजमेंट एजेंसियों को नए सिरे से तैयार करना होगा. जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए भारत को लॉन्ग टर्म डिजास्टर मिटिगेशन स्ट्रेटेजी लागू करने की जरूरत है.

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