ज्ञानवापी में व्यासजी के तहखाने में 'पूजा के अधिकार' के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर SC एक अप्रैल को करेगा सुनवाई

मुस्लिम पक्ष ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की थी. लेकिन कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को अस्वीकार करते हुए हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा-पाठ का अधिकार दे दिया था. 

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नई दिल्ली:

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Campus) में स्थित व्यास जी तहखाने में पूजा के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 1 अप्रैल को सुनवाई करेगा. ⁠CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी. मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.  हाईकोर्ट ने व्यास ताहखाने में पूजा पर रोक लगाने इंकार किया था. 

मुस्लिम पक्ष ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत याचिका खारिज करने की मांग की है
 31 जनवरी को वाराणसी जिला अदालत के फैसले के बाद पूजा शुरू की गयी थी. अदालत में हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि नवंबर 1993 से पहले व्यास तहखाने में पूजा-पाठ होती थी लेकिन उस वक्त की प्रदेश सरकार ने रुकवा दिया था. हिन्दू पक्ष ने इसी पूजा को शुरू करने का पुनः अधिकार दिए जाने की कोर्ट से मांग की थी.  मुस्लिम पक्ष ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की थी. लेकिन कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को अस्वीकार करते हुए हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा-पाठ का अधिकार दे दिया था. 

1992 में बाबरी विध्वंस के बाद सील कर दिया गया था तहखाना
व्यास जी का तहखाना के नाम से मशहूर इस स्थान को 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद सील कर दिया गया था. विध्वंस के तुरंत बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया था. अगले साल विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav on Gyanvapi) के नेतृत्व वाली सरकार बनी. राज्य सरकार ने तब कानून और व्यवस्था की चिंताओं का हवाला दिया और तहखाने वाले 'मंदिर' को सील कर दिया गया. 

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मुस्लिम पक्ष तहखाने पर कब्जे को प्रदर्शित करने में विफल रहा- हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष तहखाने पर अपने प्रथम दृष्टया कब्जे को प्रदर्शित करने में बुरी तरह विफल रहा. अनिवार्य रूप से तहखाने पर व्यास परिवार के कब्जे के बारे में प्रथम दृष्टया निष्कर्ष निकालता है. मुस्लिम पक्ष ने 1937 के बाद दिसंबर 1993 तक व्यास परिवार से किसी भी समय तहखाने पर दावा नहीं किया.  इससे तहखाने पर कब्जे के संबंध में उसके पक्ष में बातें प्रथम दृष्टया नहीं मिलती है. 

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