34 साल पुराने नेशनल बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी हत्याकांड में शूटर भगवती सिंह उर्फ पप्पू की उम्रकैद सजा को बरकरार रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने दोषी भगवती की याचिका को खारिज कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी, जिसे खारिज किया गया है. सुनवाई के दौरान दोषी के वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि 3 को आरोपमुक्त किया किया गया है, 2 की मौत हो चुकी है जबकि 1 बरी हो चुका है. मामला केवल एक व्यक्ति की गवाही पर निर्भर करता है. उसका कोई रोल नहीं है और ना ही सबूत हैं. लेकिन अदालत ने कहा कि दोषी को 2 अदालतों ने सजा सुनाई है. उन्होंने विस्तार से विचार किया है, याचिका खारिज की जाती है.
जून 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सैयद मोदी के हत्यारे की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी थी. पीठ ने 34 साल पहले हुए नेशनल बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी हत्याकांड मामले में शूटर भगवती सिंह उर्फ पप्पू की अपील को खारिज कर दिया था. ये फैसला जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सरोज यादव की पीठ ने दिया था.
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इस मामले में कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद संजय सिंह, अमिता कुलकर्णी मोदी, अखिलेश सिंह, बलई सिंह, अमर बहादुर सिंह, जितेंद्र सिंह उर्फ टिंकू और भगवती सिंह उर्फ पप्पू के खिलाफ CBI ने चार्जशीट फाइल की थी. हालांकि संजय सिंह और अमिता को निचली अदालत ने ही आरोपमुक्त कर दिया था. आरोप था कि सैयद मोदी की पत्नी अमिता मोदी से संजय सिंह के संबंध थे. सैयद रोड़ा बन रहे थे, उन्हें रास्ते से हटाने के लिए आरोपियों ने 28 जुलाई 1988 को मर्डर अंजाम दिया. FIR में कहा गया कि केडी सिंह बाबू स्टेडियम से वापस लौटते समय शाम करीब 7.45 बजे मारूति कार में आए 2 बदमाशों ने सैयद को गोली मार दी.
निचली अदालत ने संजय सिंह और अमिता मोदी को आरोप पत्र दाखिल होने के बाद ही आरोपमुक्त कर दिया था. निचली अदालत के इस निर्णय को पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था. अखिलेश सिंह के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में आरोप तय किए जाने को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. अन्य अभियुक्तों में बलई सिंह व अमर बहादुर सिंह की सुनवाई के दौरान हत्या हो गई थी. पप्पू को निचली अदालत ने 22 अगस्त 2009 को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी. निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ शूटर पप्पू की ओर से दलील दी गई. उसके पास घटना करने का जो उद्देश्य नहीं है. आरोप हैं कि उसने संजय सिंह और अमिता मोदी के संबंधों के चलते हत्या की थी. उनके बरी होने के बाद पप्पू के पास सैयद की हत्या करने की कोई वजह नहीं थी.
पीठ ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा था कि सीधे साक्ष्य के मामले में उद्देश्य का सिद्ध होना जरूरी नहीं है. इस घटना में स्टेडियम की कैंटीन के कर्मचारी प्रेमचंद यादव ने पप्पू की पहचान की थी.