(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बिहार में जातिगत सर्वेक्षण के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. सर्वे के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी. हालांकि, मामले की सुनवाई से पहले ही जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच में कहा गया है कि इस मामले पर इस महीने सुनवाई न की जाए. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि पहले मामले को सुनवाई पर आने दीजिए और फिर देखते हैं.
बता दें कि जातिगत सर्वे मामला आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है लेकिन बिहार में जातिगत सर्वे को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर याचिकाकर्ता ने सुनवाई टालने की गुहार लगाई है. यहां पढ़ें सभी अपडेट्स -
- याचिकाकर्ता ने कहा कि इस महीने मामले की सुनवाई न की जाए.
- इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले एक बार मामला सुनवाई पर आने दीजिए फिर देखते हैं.
- आज ही होनी है मामले की सुनवाई.
- दरअसल बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर 2023 को जाति आधारित जनगणना का डाटा जारी किया था.
- इसके पहले 6 सितंबर को कोर्ट ने सर्वे के आंकड़े जारी करने पर अंतरिम रोक का आदेश देने से इनकार कर दिया था
- कोर्ट ने कहा था कि मामले में विस्तार से सुनवाई की जरूरत है
- 28 अगस्त 2023 को केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि संविधान के मुताबिक जनगणना केंद्रीय सूची के अंर्तगत आता है.
- सरकार ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार खुद एससी, एसटी और सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों के उत्थान की कोशिश में लगी है.
- केंद्र सरकार ने कहा था कि जनगणना एक विधायी प्रक्रिया है, जो जनगणना अधिनियम 1948 के तहत है और केंद्रीय अनुसूची के 7वें शेड्यूल के 69वें क्रम के तहत इसके आयोजन का अधिकार केंद्र सरकार के पास है.
- केंद्र ने कहा था कि अधिनियम 1984 की धारा-3 के तहत यह अधिकार केंद्र को मिला है.
- इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर यह बताया जाता है कि देश में जनगणना करायी जा रही है और उसके आधार भी स्पष्ट किए जाते हैं.
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