दिल्ली (Delhi Schools) के स्कूलों में गरीब छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं के लिए गैजेट्स मुहैया कराने का खर्च वहन करने के फैसले पर रोक लगा दी गई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है. शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार (Delhi Govt) की याचिका पर नोटिस भी जारी किया है. दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने सितंबर 2020 में निजी एवं सरकारी स्कूलों को निर्देश दिया था कि वे गरीब बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं के लिए उपकरण जैसे मोबाइल आदि और इंटरनेट पैकेज मुहैया कराएं. अदालत ने कहा था कि ऐसी सुविधाओं की कमी से बच्चों को मूलभूत शिक्षा प्राप्त करने में परेशानी होती है.
जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संजीव नरुला की पीठ ने कहा कि गैर वित्तपोषित निजी स्कूल, शिक्षा के अधिकार कानून-2009 के तहत उपकरण और इंटरनेट पैकेज खरीदने पर आई जो भी उचित लागत हो, उसकी प्रतिपूर्ति (रिम्बर्समेंट) सरकार से प्राप्त करने के योग्य हैं. भले ही राज्य यह सुविधा उसके छात्रों को मुहैया नहीं कराती है. पीठ ने गरीब और वंचित विद्यार्थियों की पहचान करने और उपकरणों की आपूर्ति करने की सुचारु प्रक्रिया के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने का निर्देश दिया.
समिति में केंद्र के शिक्षा सचिव या उनके प्रतिनिधि, दिल्ली सरकार के शिक्षा सचिव या प्रतिनिधि और निजी स्कूलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. अदालत ने यह भी कहा कि समिति गरीब और वंचित विद्यार्थियों को दिए जाने वाले उपकरण और इंटरनेट पैकेज के मानक की पहचान करने के लिए मानक परिचालन प्रकिया (एसओपी) भी बनाएगी. पीठ ने कहा कि इससे सभी गरीब और वंचित विद्यार्थियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण और इंटरनेट पैकेज में एकरूपता सुनिश्चित हो सकेगी. यह फैसला अदालत ने गैर सरकारी संगठन ‘जस्टिस फॉर ऑल' की जनहित याचिका पर सुनाया था.
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