गोवा में रह रहे पाकिस्तानी शख्स की याचिका पर SC ने सुनवाई से किया इंकार,जानें पूरा मामला

पाक समर्थित आतंकवादियों द्वारा पर्यटकों पर पहलगाम आतंकी हमले के तीन दिन बाद भारत ने 25 अप्रैल को पाकिस्तानी नागरिकों को दिए गए सभी तरह के वीजा रद्द कर दिए हालांकि मेंडेस के पास जो लांग टर्म वीजा है, उसे रद्द नहीं किया गया है. मैंडेस का वीजा 20 जून को समाप्त हो रहा है.

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गोवा में जन्मे पाकिस्तानी कैथोलिक व्यक्ति की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसने पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का हवाला देते हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के तहत उसे नागरिकता देने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की थी, जबकि वह जनवरी 2014 की कटऑफ तारीख के छह साल बाद भारत आया था. सुप्रीम कोर्ट ने उसे राहत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट जाने को कहा है.  

दरअसल, जूड मेंडेस, जो 1987 में गोवा में एक पाकिस्तानी नागरिक के घर पैदा हुआ था, लेकिन उसने पाकिस्तान के कराची में अपनी पढ़ाई पूरी की.  2016 में एक लांग टर्म वीजा पर भारत आया, जिसे इस साल जून तक बढ़ा दिया गया.  उसने 2020 में अपना आधार कार्ड भी बनवाया. इस साल फरवरी में एक भारतीय महिला से शादी भी  की. पाक समर्थित आतंकवादियों द्वारा पर्यटकों पर पहलगाम आतंकी हमले के तीन दिन बाद भारत ने 25 अप्रैल को पाकिस्तानी नागरिकों को दिए गए सभी तरह के वीजा रद्द कर दिए हालांकि मेंडेस के पास जो लांग टर्म वीजा है, उसे रद्द नहीं किया गया है. मैंडेस का वीजा 20 जून को समाप्त हो रहा है.

वकील राघव अवस्थी ने जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की आंशिक कार्य दिवस वाली पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता भारत में पैदा हुआ है और रोमन कैथोलिक है, जो अल्पसंख्यक समुदाय का होने के कारण पाकिस्तान में बहुत अधिक प्रताड़ित है. वह अपने पासपोर्ट को नवीनीकृत करने के लिए पाकिस्तान नहीं जा सकता जो 20.06.2025 को समाप्त हो रहा है, क्योंकि उसकी जान को खतरा है और इसलिए उसे अपने दीर्घकालिक वीजा का विस्तार दिया जाना चाहिए.

याचिकाकर्ता ने कहा कि पाकिस्तान में निर्वासित होने की स्थिति में याचिकाकर्ता, जो भारत में पैदा हुआ था और अब एक भारतीय नागरिक से वैध रूप से विवाहित है, पाकिस्तान में अत्यधिक धार्मिक उत्पीड़न के कारण अपने जीवन को खतरे में डाल सकता है. फिलहाल में लो गोवा में एक रेस्तरां में शेफ के रूप में काम करता है, लेकिन पीठ ने कहा कि उसे जो राहत चाहिए, उसके लिए उसे बॉम्बे हाईकोर्ट जाना होगा. याचिकाकर्ता के वकील ने हाईकोर्ट जाने की याचिका वापस ले ली.

गौरतलब है कि CAA के तहत भारत ने अल्पसंख्यक समुदायों के उन लोगों को नागरिकता देने का संकल्प लिया था, जिन्हें पड़ोसी देशों में धर्म के आधार पर सताया गया है हालांकि, कानून में यह प्रावधान था कि उन्हें 1 जनवरी 2014 से पहले भारत में प्रवेश करना चाहिए.

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