सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एनके सिंह की आंशिक कार्य दिवस वाली पीठ ने कहा कि वह अदालत के दोबारा खुलने के बाद मराठा आरक्षण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर विचार करेगी. एक वकील ने आज बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा कानून पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करने के खिलाफ याचिका पर तत्काल सुनवाई का उल्लेख किया.
बॉम्बे उच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने 11 जून को मराठा आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नए सिरे से सुनवाई शुरू करने के लिए 18 जुलाई की तारीख तय की थी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मई में मराठा आरक्षण प्रदान करने वाले 2024 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं (पीआईएल) सहित याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की एक नई पीठ का गठन किया था.
राज्य सरकार ने किसी भी अंतरिम राहत पर विचार करने के अनुरोध का विरोध किया था. बॉम्बे हाईकोर्ट सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2024 (एसईबीसी) के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जो सार्वजनिक रोजगार में मराठों को 10 प्रतिशत आरक्षण देता है.
उच्च न्यायालय ने अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन स्पष्ट किया कि शैक्षणिक संस्थानों में आगे होने वाले सभी प्रवेश और रोजगार न्यायालय के आदेश के अधीन होंगे.