नई दिल्लीअंडमान निकोबार प्रशासन के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण के मामले में अदालत ने अंतरिम संरक्षण को रद्द करने से इंकार कर दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जितेंद्र नारायण को 9 नवंबर तक सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल करने को कहा है. साथ ही सत्र अदालत को अगले दो दिनों में अग्रिम जमानत अर्जी पर फैसला करने के लिए भी कहा गया है. गौरतलब है कि सोमवार को अंडमान निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण और पूर्व श्रम आयुक्त के खिलाफ गैंग रेप और यौन शोषण के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एस रविंद्र भट्ट की पीठ के सामने पहले पीड़ित परिवार के वकील ने कहा कि आरोपियों ने सीसीटीवी फुटेज भी गायब कर दी है.अंडमान निकोबार प्रशासन की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरोपियों पर सबूतों से छेड़छाड़ के सबूत भी मिले हैं. आरोपियों की ओर से मुकुल रोहतगी पेश हुए थे. बताते चलें कि पहले आरोपी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को कलकत्ता हाईकोर्ट से मिले गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारे पास सीसीटीवी फुटेज व अन्य सबूत हैं कि आरोपी सबूत मिटाने की कोशिश कर रहा है. दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट की पोर्ट ब्लेयर सर्किट बेंच ने पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को गिरफ्तारी से अंतरिम ट्रांजिट संरक्षण दिया था.साथ ही सामूहिक बलात्कार के आरोपों की जांच कर रही एसआईटी के सामने पेश होने के लिए कहा था. इसी को अंडमान प्रशासन ने चुनौती दी है. इससे पहले पुलिस के एक विशेष जांच दल (SIT) ने शनिवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण से 21 वर्षीय युवती से कथित सामूहिक बलात्कार मामले में पूछताछ की. पीड़िता ने आरोप लगाया है कि उसे तत्कालीन मुख्य सचिव नारायण के घर सरकारी नौकरी देने का प्रलोभन देकर बुलाया गया और नारायण समेत शीर्ष अधिकारियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया. मामले में दर्ज प्राथमिकी में श्रम आयुक्त आरएल ऋषि को भी महिला से दुष्कर्म करने का आरोपी बनाया गया है, जबकि पुलिस निरीक्षक और होटल मालिक को अपराध में साथ देने का आरोपी बनाया गया है. नारायण के खिलाफ एक अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज की गई थी जब उनका स्थानांतरण दिल्ली वित्त निगम के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पद पर किया गया था. सरकार ने 17 अक्टूबर को उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. युवती ने प्राथमिकी में दावा किया है कि मुख्य सचिव ने अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह प्रशासन के विभिन्न विभागों में ‘7800 उम्मीदवारों' की नियुक्ति बिना किसी ‘‘औपचारिक साक्षात्कार'' के केवल ‘सिफारिश के आधार' पर की है. पीड़िता का आरोप है कि उसे सरकारी नौकरी का प्रलोभन देकर मुख्य सचिव के आवास पर बुलाया गया और 14 अप्रैल एवं एक मई को दुष्कर्म किया गया.:
अंडमान निकोबार प्रशासन के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण के मामले में अदालत ने अंतरिम संरक्षण को रद्द करने से इंकार कर दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जितेंद्र नारायण को 9 नवंबर तक सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल करने को कहा है. साथ ही सत्र अदालत को अगले दो दिनों में अग्रिम जमानत अर्जी पर फैसला करने के लिए भी कहा गया है. गौरतलब है कि सोमवार को अंडमान निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण और पूर्व श्रम आयुक्त के खिलाफ गैंग रेप और यौन शोषण के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एस रविंद्र भट्ट की पीठ के सामने पहले पीड़ित परिवार के वकील ने कहा कि आरोपियों ने सीसीटीवी फुटेज भी गायब कर दी है.अंडमान निकोबार प्रशासन की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरोपियों पर सबूतों से छेड़छाड़ के सबूत भी मिले हैं. आरोपियों की ओर से मुकुल रोहतगी पेश हुए थे.
बताते चलें कि पहले आरोपी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को कलकत्ता हाईकोर्ट से मिले गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारे पास सीसीटीवी फुटेज व अन्य सबूत हैं कि आरोपी सबूत मिटाने की कोशिश कर रहा है. दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट की पोर्ट ब्लेयर सर्किट बेंच ने पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को गिरफ्तारी से अंतरिम ट्रांजिट संरक्षण दिया था.साथ ही सामूहिक बलात्कार के आरोपों की जांच कर रही एसआईटी के सामने पेश होने के लिए कहा था. इसी को अंडमान प्रशासन ने चुनौती दी है.
इससे पहले पुलिस के एक विशेष जांच दल (SIT) ने शनिवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण से 21 वर्षीय युवती से कथित सामूहिक बलात्कार मामले में पूछताछ की. पीड़िता ने आरोप लगाया है कि उसे तत्कालीन मुख्य सचिव नारायण के घर सरकारी नौकरी देने का प्रलोभन देकर बुलाया गया और नारायण समेत शीर्ष अधिकारियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया.
मामले में दर्ज प्राथमिकी में श्रम आयुक्त आरएल ऋषि को भी महिला से दुष्कर्म करने का आरोपी बनाया गया है, जबकि पुलिस निरीक्षक और होटल मालिक को अपराध में साथ देने का आरोपी बनाया गया है. नारायण के खिलाफ एक अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज की गई थी जब उनका स्थानांतरण दिल्ली वित्त निगम के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पद पर किया गया था.
सरकार ने 17 अक्टूबर को उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. युवती ने प्राथमिकी में दावा किया है कि मुख्य सचिव ने अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह प्रशासन के विभिन्न विभागों में ‘7800 उम्मीदवारों' की नियुक्ति बिना किसी ‘‘औपचारिक साक्षात्कार'' के केवल ‘सिफारिश के आधार' पर की है. पीड़िता का आरोप है कि उसे सरकारी नौकरी का प्रलोभन देकर मुख्य सचिव के आवास पर बुलाया गया और 14 अप्रैल एवं एक मई को दुष्कर्म किया गया.
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