समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की याचिका पर SC ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने इस मामले में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने की मांग की. कहा कि इस मामले में कई लोग इसमें रुचि रखते हैं.

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नई दिल्ली:

स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित इसी तरह की याचिका को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग वाली ट्रांसफर याचिका पर भी नोटिस जारी किया है. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने इस मामले में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने की मांग की. कहा कि इस मामले में कई लोग इसमें रुचि रखते हैं. इसपर सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब सुनवाई होगी तो हम इस पर विचार करेंगे. इससे पहले 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक और समलैंगिक जोड़े की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था और 4 सप्ताह में केंद्र से जवाब मांगा था.

इससे पहले दो जनहित याचिकाओं दाखिल हुई थीं. याचिकाओं में समलैंगिक लोगों की शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट में शामिल करने की मांग की गई थी. हैदराबाद में रहने वाले दो समलैंगिक पुरुषों ने विशेष विवाह अधिनियम यानी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग करीब 10 साल से एक-दूसरे के साथ हैं. उनके रिश्ते को उनके माता-पिता, परिवार और दोस्तों ने भी समर्थन दिया .

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि विशेष विवाह अधिनियम भारत के संविधान के विपरीत है. यह समान लिंग के जोड़ों और विपरीत लिंग के जोड़ों के बीच भेदभाव करता है. ये समान लिंग वाले जोड़ों को कानूनी अधिकारों के साथ-साथ सामाजिक मान्यता और स्थिति  से वंचित करता है, जो विवाह से प्रवाहित होती है. 

एक अन्य जोड़े ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की है जिसमें एलजीटीबीक्यू समुदाय के सभी सदस्यों को मान्यता देने की मांग की गई है. पार्थ फिरोज मेहरोत्रा ​​और उदय राज आनंद पिछले 17 सालों से एक-दूसरे के साथ रिलेशनशिप में हैं. उनका दावा है कि वे वर्तमान में दो बच्चों की परवरिश एक साथ कर रहे हैं. चूंकि वे कानूनी रूप से अपनी शादी को संपन्न नहीं कर सकते हैं, इसके परिणामस्वरूप ऐसी स्थिति पैदा हो गई है, जहां दोनों याचिकाकर्ता अपने दोनों बच्चों के साथ माता-पिता और बच्चे का कानूनी संबंध नहीं रख सकते हैं.
 

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